ससुर जी ने चोदा जब पति गए मार्केट

लखनऊ की एक पुरानी हवेली में, जहाँ दिन शांत और रातें वासना की आग से भरी होती थीं, वहाँ रहती थी नेहा, 26 साल की जवान औरत। नेहा का जिस्म ऐसा था कि गली का हर मर्द उसकी एक झलक पाने को तरसता था। उसकी टाइट साड़ी में उभरे रसीले बूब्स, पतली कमर और गोल नितंब किसी के भी लंड में हलचल मचा देते थे। उसकी गहरी आँखें और गुलाबी होंठ जैसे चूमने की खुली दावत दे रहे हों। नेहा का पति, राहुल, एक व्यापारी था, जो अक्सर मार्केट के काम से बाहर रहता था। हवेली में नेहा के साथ रहते थे उसके ससुर, रामलाल, 50 साल के, मगर अब भी तगड़े और मर्दाना। रामलाल का सख्त जिस्म, गहरी आवाज और वो चमकदार आँखें नेहा को हमेशा बेचैन कर देती थीं।

नेहा को शादी के बाद से ही ससुर की नजरें अपने जिस्म पर महसूस होती थीं। जब वह रसोई में खाना बनाती, और उसका पल्लू सरक जाता, तो रामलाल की आँखें उसके बूब्स पर ठहर जातीं। नेहा को ये नजरें गुदगुदाती थीं, और उसकी चूत में एक अजीब सी सिहरन उठती थी। रामलाल भी जानते थे कि उनकी बहू की टाइट चूत उनके मोटे लंड की भूखी थी।

एक दोपहर की शुरुआत

वो एक अप्रैल की गर्म दोपहर थी। राहुल सुबह-सुबह मार्केट के लिए निकल गया था, और बोला था कि वह देर रात तक लौटेगा। हवेली में सिर्फ़ नेहा और रामलाल अकेले थे। नेहा रसोई में खाना बना रही थी, उसकी पतली सी साड़ी पसीने से भीग चुकी थी, और उसका ब्लाउज उसके बूब्स पर चिपक गया था। रामलाल रसोई के दरवाजे पर खड़े होकर उसे देख रहे थे, उनकी आँखें नेहा के जिस्म पर घूम रही थीं।

“नेहा, इतनी गर्मी में इतना काम मत करो। आ, थोड़ा आराम कर ले,” रामलाल ने गहरी आवाज में कहा, उनकी नजरें नेहा के बूब्स पर टिकी थीं। नेहा ने पलटकर देखा और एक मादक मुस्कान दी। “ससुर जी, गर्मी तो मेरे जिस्म में और बढ़ रही है,” उसने शरारत से कहा, और अपनी साड़ी का पल्लू हल्का सा नीचे खिसकाया, जिससे उसके बूब्स का क्लीवेज साफ़ दिखने लगा।

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रामलाल का लंड उनकी धोती में तन गया। वह नेहा के पास आए और बोले, “तो तेरी ये गर्मी बुझाने के लिए कुछ करूँ, बहू?” नेहा ने अपनी जीभ अपने होंठों पर फिराई और फुसफुसाया, “ससुर जी, मेरी चूत की आग को छूकर तो देखो।” रामलाल की साँसें तेज हो गईं। उन्होंने नेहा को अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। वो किस इतना गहरा और गर्म था कि नेहा की चूत गीली हो गई।

रसोई से बेडरूम तक

रामलाल ने नेहा को रसोई के स्लैब पर बिठाया और उसकी साड़ी ऊपर उठा दी। नेहा की लाल पैंटी उसकी टाइट चूत को ढक रही थी, जो पहले से ही गीली थी। “तेरी चूत कितनी रसीली है, नेहा,” रामलाल ने कहा, और उसकी पैंटी उतारकर अपनी जीभ नेहा की चूत पर फिराई। नेहा की सिसकारियाँ रसोई में गूँज उठीं। “हाँ, ससुर जी… और जोर से चाटो… मेरी चूत को खा जाओ,” उसने चिल्लाते हुए कहा, और अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं।

रामलाल ने अपनी जीभ को नेहा की चूत की गहराइयों में डाला, और नेहा की कमर उछलने लगी। उसने रामलाल की धोती खोल दी और उनका मोटा लंड बाहर निकाला। “ये लंड तो मेरी चूत को फाड़ देगा, ससुर जी,” उसने शरारत से कहा, और उनके लंड को अपने मुँह में लिया। उसकी जीभ रामलाल के मोटे लंड पर लपलपाती रही, और रामलाल की सिसकारियाँ तेज हो गईं। “नेहा, तेरा मुँह मेरे लंड को पागल कर रहा है,” उन्होंने कहा, और नेहा के बालों को कसकर पकड़ लिया।

रामलाल ने नेहा को रसोई से उठाया और उसे बेडरूम में ले गए। हवेली का बेडरूम मखमली चादरों से सजा था, और मंद रोशनी उसकी कामुकता को और बढ़ा रही थी। नेहा ने अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार फेंके, और अब वह सिर्फ़ नंगी थी, उसकी टाइट चूत और रसीले बूब्स रामलाल के सामने थे। “मुझे चोद दो, ससुर जी,” उसने सिसकारी भरे लहजे में कहा, और बेड पर लेट गई।

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चुदाई की आग

रामलाल ने अपने मोटे लंड को नेहा की टाइट चूत में डाला और धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। नेहा की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, और उसने अपनी टाँगें रामलाल की कमर के चारों ओर लपेट लीं। “और जोर से, ससुर जी… मेरी चूत को फाड़ दो,” उसने चीखते हुए कहा। रामलाल ने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ नेहा के बूब्स उछल रहे थे। उन्होंने नेहा के निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और काटते हुए, और नेहा की चीखें और तेज हो गईं।

रामलाल ने नेहा को पलट दिया और उसे डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। उनका मोटा लंड नेहा की टाइट चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि दोनों के जिस्म एक-दूसरे में पूरी तरह घुल गए। “हाँ, ससुर जी… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दे,” नेहा चिल्ला रही थी। रामलाल ने नेहा के नितंबों को थपथपाया, और उसकी चीखें और तेज हो गईं।

पूरी दोपहर और शाम, दोनों ने एक-दूसरे के जिस्म को चखा। रामलाल ने नेहा को बेड के हर कोने में चोदा—कभी उसकी चूत को, कभी उसके बूब्स को चूसते हुए, और कभी उसके नितंबों को सहलाते हुए। नेहा ने रामलाल के मोटे लंड को बार-बार अपने मुँह में लिया, और उसकी जीभ ने रामलाल को पागल कर दिया। “तेरा लंड मेरी चूत का राजा है, ससुर जी,” उसने सिसकारी भरे लहजे में कहा, और रामलाल को और जोर से चोदने के लिए उकसाया।

रात का जुनून

शाम ढलने तक दोनों थककर बेड पर लेट गए। नेहा ने रामलाल के लंड को फिर से अपने हाथ में लिया। “ये अभी भी तना हुआ है,” उसने शरारत से कहा, और उसे फिर से चूसने लगी। रामलाल ने नेहा को अपनी गोद में बिठाया और उसे फिर से चोदना शुरू किया। इस बार, नेहा ऊपर थी, और उसकी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। “तेरी टाइट चूत मेरे लंड को निचोड़ रही है, नेहा,” रामलाल ने कहा, और नेहा ने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी।

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दोनों ने एक-दूसरे को तब तक चोदा, जब तक रात की सन्नाटे में सिर्फ़ उनकी सिसकारियाँ और बेड की चरमराहट गूँज रही थी। नेहा के नाखून रामलाल की पीठ पर गहरे निशान छोड़ रहे थे, और रामलाल के दाँत नेहा के बूब्स पर हल्के-हल्के काट रहे थे। रात के नौ बजे, जब राहुल के लौटने का वक्त करीब आया, नेहा और रामलाल ने अपनी आखिरी चुदाई पूरी की।

सुबह का वादा

जब रात गहरी हो गई, नेहा और रामलाल नंगे एक-दूसरे की बाहों में लेटे थे। नेहा ने रामलाल के सीने पर सिर रखा और फुसफुसाया, “ससुर जी, आपने मेरी चूत को रंगीन कर दिया। ये चुदाई मेरे जिस्म में हमेशा रहेगी।” रामलाल ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “नेहा, तेरी टाइट चूत मेरे मोटे लंड की गुलाम बन गई है।”

नेहा ने एक आखिरी बार रामलाल के होंठों को चूमा, अपनी साड़ी पहनी, और एक मादक मुस्कान के साथ बोली, “राहुल अगले हफ्ते फिर मार्केट जाएगा। मेरी चूत आपका इंतज़ार करेगी।” रामलाल ने उसकी कमर पकड़ी और कहा, “तो मेरा मोटा लंड हाजिर रहेगा।”

जैसे ही नेहा बेडरूम से बाहर निकली, उसने पलटकर देखा और कहा, “ये दोपहर हमारी थी, ससुर जी। लेकिन ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ।” रामलाल जानता था, नेहा की टाइट चूत की आग उसके लंड में हमेशा सुलगती रहेगी।