Grandfather Sex Story – पढ़िए एक तीव्र और कामुक हिंदी सेक्स कहानी, जिसमें रीना की प्यासी चूत को उसके सौतेले दादाजी का बूढ़ा मगर ताकतवर लंड सुख देता है। चूचियां, गांड, चूत, लंड जैसे बोल्ड शब्दों और रूमानी अंदाज से सजी ये देसी चुदाई की कहानी तुम्हें वासना और जुनून की दुनिया में ले जाएगी। अनोखे सुख का आनंद लें!
मैं रीना, 25 साल की एक ऐसी लड़की, जिसकी जवानी गाँव की हवाओं में महकती थी, और जिसकी चूत की प्यास किसी जंगल की आग से कम न थी। मेरी गोरी चमकती त्वचा, उभरी हुई चूचियां, मटकती गांड, और गहरी नाभि हर मर्द के दिल में तूफान उठा देती थी। हमारे गाँव की हवेली में मैं और मेरे सौतेले दादाजी, 70 साल के सेठ रामप्रसाद, रहते थे। दादाजी मेरे पापा की सौतेली मां के पति थे, यानी मेरे सौतेले दादाजी। उनकी उम्र भले बूढ़ी थी, मगर उनकी गहरी आंखें, मजबूत देह, और मूंछों वाली मुस्कान मेरी चूत में सनसनी पैदा करती थी।
दादाजी की जवानी अब भी उनके जिस्म में बसी थी। वो खेतों में काम करते, अपनी चौड़ी छाती पर पसीना चमकाते, और उनकी गहरी आवाज मेरे दिल को छू जाती थी। मैं अक्सर उनके साथ मजाक करती, उनकी जांघ पर चिकोटी काटती, और वो मेरी चूचियों को निहारते। मेरी चूत उनकी मर्दानगी की भूखी थी, मगर मैं अपनी वासना को दबाती थी। एक रात, जब गाँव में मेला था और हवेली में सिर्फ मैं और दादाजी थे, मैंने एक पतली, पारदर्शी साड़ी पहनी, जो मेरी चूचियों और चूतड़ों को ललचा रही थी। चांदनी छत पर बिछी थी, और दादाजी चारपाई पर लेटे थे, उनका कुरता खुला था।
“दादाजी, ये चांदनी मुझे तड़पा रही है,” मैंने रूमानी लहजे में कहा, और उनके पास बैठ गई। मेरी साड़ी का पल्लू सरक गया, और मेरी गोरी चूचियां ब्लाउज में उभर आईं। दादाजी की नजरें मेरे जिस्म पर ठहर गईं। “रीना, तू तो चांद की तरह चमक रही है, और मैं बूढ़ा जल रहा हूं,” उन्होंने गहरी आवाज में कहा, और मेरी कमर पर हाथ रख दिया। मेरी चूत में रस की बूंदें टपकने लगीं। “अगर जल रहे हो, दादाजी, तो मेरी आग में डूब क्यों नहीं जाते?” मैंने होंठ चाटते हुए कहा, और उनकी जांघ पर उंगलियां फिराईं। उनका लंड धोती में तन गया।
“रीना, मैं तेरा दादाजी हूं, ये पाप है,” उन्होंने सिसकते हुए कहा, मगर उनकी आंखें मेरे जिस्म को चाट रही थीं। “सौतेला दादाजी, और प्यार में पाप कहां?” मैंने रूमानी लहजे में कहा, और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चूमन एक पुराना शराब था, जिसमें मैं मदहोश हो गई। उनकी जीभ मेरी जीभ से उलझी, और उन्होंने मेरे होंठों को चूस लिया। “उफ्फ, दादाजी, आपके होंठ मेरी चूत को जगा रहे हैं,” मैंने सिसकिया, और उनकी छाती को सहलाया।
दादाजी ने मेरी साड़ी को एक झटके में खींचकर फेंक दिया। मेरी चूचियां टाइट ब्लाउज में कैद थीं, और मेरी नंगी कमर चांदनी में चमक रही थी। “रीना, तेरी चूचियां तो अमृत के घड़े हैं,” उन्होंने कामुक लहजे में कहा, और मेरा ब्लाउज फाड़ दिया। मेरी मोटी, नरम चूचियां आजाद हो गईं, उनके गुलाबी निप्पल्स तनकर खड़े थे। उन्होंने मेरी चूचियों को अपने रूखे हाथों में भरा, और उन्हें प्यार से मसला। “हाय, दादाजी, मेरी चूचियां आपके हाथों में पिघल रही हैं,” मैंने सिसकिया, और मेरी चूत रस से तर हो गई।
उन्होंने मेरे निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटा, और उन्हें चूसने लगा। मेरी सिसकियां अब चीखों में बदल गईं। “दादाजी, मेरी चूचियां आपके प्यार की भूखी हैं, चूसो इन्हें!” मैंने चिल्लाया, और उनकी पीठ को नाखूनों से खरोंचा। दादाजी ने मेरा पेटीकोट उतार दिया, और मेरी काली पैंटी को फाड़कर फेंक दिया। मेरी सांवली, गीली चूत चांदनी में चमक रही थी। “रीना, तेरी चूत तो मधु का सागर है,” उन्होंने कहा, और अपनी उंगलियां मेरी चूत में डाल दीं। मेरी चूत इतनी गर्म थी कि मैं चीख पड़ी।
“हाय, दादाजी, मेरी चूत आपके लिए तड़प रही है!” मैंने चिल्लाया, और मेरी गांड उछलने लगी। दादाजी ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटा, उनकी जीभ मेरे चूत के दाने को सहला रही थी। मेरी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “दादाजी, मेरी चूत को चाटो, इसे अपने प्यार से भिगो दो!” मैं चिल्ला रही थी, और मेरी चूत रस से लबालब हो गई। उन्होंने दो उंगलियां मेरी चूत में डालीं, और मुझे उंगलियों से चोदने लगे। मेरी सिसकियां चरम सुख में बदल गईं।
दादाजी ने अपनी धोती उतार दी। उनका बूढ़ा मगर ताकतवर लंड चांदनी में चमक उठा, भले 7 इंच का था, मगर उसकी मोटाई मेरी चूत को ललचा रही थी। मैंने उनके लंड को देखा, और मेरी आंखें चमक उठीं। “दादाजी, आपका लंड तो मेरी चूत का सच्चा साथी है,” मैंने रूमानी लहजे में कहा, और उनके लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया। मैंने उनके लंड को प्यार से सहलाया, और फिर अपने होंठों से उसे चूमा। मेरी जीभ उनके लंड के टिप पर घूम रही थी, और दादाजी की सांसें रुक रही थीं। “रीना, तू मेरे लंड को जन्नत दिखा रही है,” उन्होंने गुर्राया, और मेरे बालों को जकड़ लिया।
मैंने उनके लंड को चूसकर गीला कर दिया, और फिर चारपाई पर लेट गई। मेरी चूत रस टपका रही थी, और मेरी गांड दादाजी के सामने थी। “दादाजी, मेरी प्यासी चूत में अपना लंड डालो, और मुझे खुश करो!” मैंने चिल्लाया, और अपनी गांड को ऊपर उठाया। दादाजी ने मेरी चूतड़ों पर थप्पड़ मारे, और अपनी उंगलियां मेरी चूत में डालकर उसे और गीला किया। “रीना, तेरी चूत मेरे लंड की मालकिन है,” उन्होंने कहा, और अपना मोटा लंड मेरी चूत में एक झटके में डाल दिया।
मेरी चीख रात को चीर गई। “हाय मर गई! आपका लंड मेरी चूत को चीर देगा!” मैंने चिल्लाया, मगर मेरी चूत अब उनके लंड को लय में ले रही थी। दादाजी ने मेरी चूचियों को पकड़ा, और मेरी चूत को जोर-जोर से चोदने लगे। हर धक्के के साथ मेरी चूत रस छोड़ रही थी, और मेरी चीखें छत पर गूंज रही थीं। “चोदो मुझे, दादाजी! मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दो!” मैं चिल्ला रही थी, और उनका लंड मेरी चूत में तूफान मचा रहा था।
दादाजी ने मुझे चारपाई से उठाया, और छत की रेलिंग के सहारे खड़ा किया। उन्होंने मेरी एक टांग उठाई, और मेरी चूत में फिर से अपना लंड डाला। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मेरी चूत उनके लंड को जकड़ रही थी। “दादाजी, आपका लंड मेरी चूत की जिंदगी है!” मैंने चीखा, और उनके होंठों को चूसने लगी। दादाजी ने मेरी चूत में गहरे धक्के मारे, और मेरी चूतड़ों को जोर-जोर से दबाया। “रीना, तेरी चूत मेरे लंड की जन्नत है,” उन्होंने गुर्राया, और मेरी चूत में और गहरा धक्का मारा।
अब दादाजी की नजर मेरी मोटी गांड पर थी। उन्होंने मुझे चारपाई पर उल्टा लिटाया, और मेरी गांड को अपने सामने देखकर पागल हो गए। “रीना, तेरी गांड तो सितारों का समंदर है,” उन्होंने रूमानी लहजे में कहा, और मेरी गांड पर थप्पड़ मारे। उन्होंने मेरी चूत का रस अपनी उंगलियों से लिया, और मेरी टाइट गांड के छेद को गीला किया। “दादाजी, मेरी गांड में मत डालो, मैं टूट जाऊंगी!” मैंने सिसकते हुए कहा, मगर मेरी गांड अब उनके लंड की प्यासी थी।
दादाजी ने अपने लंड को मेरी चूत के रस से गीला किया, और धीरे से मेरी टाइट गांड में डाला। मेरी चीख रात को चीर गई। “हाय राम! आपका लंड मेरी गांड को चीर देगा!” मैंने चिल्लाया, मगर मेरी गांड अब उनके लंड को लय में ले रही थी। दादाजी ने मेरी चूचियों को पीछे से पकड़ा, और मेरी गांड को जोर-जोर से चोदा। हर धक्के के साथ मेरी चूत रस टपका रही थी, और मेरी गांड उनके लंड को निगल रही थी। “चोदो मुझे, दादाजी! मेरी गांड और चूत दोनों आपके लंड की गुलाम हैं!” मैं चिल्ला रही थी।
रात के 3 बज चुके थे, और चांदनी हमारी चुदाई का गवाह थी। दादाजी ने मुझे अपनी गोद में उठाया, और चारपाई के किनारे चोदने लगे। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मेरी चूत उनके लंड को जकड़ रही थी। “दादाजी, आप मेरी चूत के राजा हैं,” मैंने सिसकते हुए कहा, और उनके होंठों को चूसने लगी। उनका लंड अब फटने को था। उन्होंने मेरी चूत में आखिरी धक्का मारा, और अपना गर्म माल मेरी चूत में उड़ेल दिया। मेरी चूत रस और माल से लबालब हो गई, और मेरी सिसकियां चरम सुख में बदल गईं।
हम दोनों पसीने से तर-बतर चारपाई पर गिर पड़े, हमारी सांसें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं। मैंने दादाजी के लंड को फिर से सहलाया, और बोली, “दादाजी, आपके बूढ़े लंड ने मुझे वो सुख दिया जो कोई जवान नहीं दे पाया।” दादाजी ने मेरी चूचियों को चूमा, और कहा, “रीना, तू मेरी चूत की रानी है। जब तक मुझमें जान है, तेरी चूत और गांड की प्यास बुझाऊंगा।”
एक अनोखा ट्विस्ट
कुछ दिन बाद, गाँव का एक जवान मिस्त्री, विक्की, हवेली में काम करने आया। विक्की ने मुझे और दादाजी को एक रात चुदाई करते देख लिया। मैं डर गई, मगर दादाजी ने मुस्कुराते हुए विक्की को बुलाया। “विक्की, अगर तू रीना को सुख दे सकता है, तो शामिल हो जा,” उन्होंने कहा। विक्की ने अपना लंड निकाला, और मेरी चूत में डाल दिया। दादाजी ने मेरी गांड में अपना लंड डाला, और दोनों ने मुझे एक साथ चोदा। मेरी चीखें रात में गूंज रही थीं। “चोदो मुझे, तुम दोनों! मेरी चूत और गांड दोनों ले लो!” मैं चिल्ला रही थी। उस रात, मैंने वो सुख पाया जो मैंने कभी नहीं सोचा था।
अब मैं दिन में हवेली की बहू थी, और रात में दादाजी और विक्की की रानी। मेरी चूत और गांड की प्यास हर रात बुझती थी, और मैं अपनी जवानी का पूरा मजा ले रही थी।