ये कहानी मेरी जिंदगी का वो पन्ना है जो मैं कभी किसी से शेयर नहीं करना चाहता था, लेकिन दिल का बोझ हल्का करने के लिए लिख रहा हूँ। मेरा नाम अमन है, 25 साल का, दिल्ली में एक छोटी सी आईटी जॉब करता हूँ। अपार्टमेंट में रहता हूँ, जहाँ पड़ोसी एक-दूसरे की जिंदगी में झाँकते रहते हैं। मेरी पड़ोसन भाभी, नाम प्रिया, 29 साल की। उनके पति सरकारी जॉब में, हमेशा टूर पर रहते हैं। भाभी घर पर अकेली, लेकिन उनकी मुस्कान में वो जादू जो मुझे रोज़ आकर्षित करता। लंबे बाल, बड़ी-बड़ी आँखें, गोरा रंग, फिगर 34-28-36 का – साड़ी में कमर की लचक देखकर दिल धड़कता। हमारी बातें शुरू हुई थी लिफ्ट में, फिर बालकनी से। “अमन, अकेले रहते हो, खाना कैसे बनाते?” वो पूछती, और मैं हँसकर कहता, “भाभी, आपकी तरह कोई हो तो मजा आए।” लेकिन एक दिन वो मजाक हकीकत बन गया – भाभी के साथ सुहागरात जैसी रात, जो हम दोनों को बदल गई। ये मेरी सच्ची कहानी है, वो रात की हर डिटेल, वो स्पर्श, वो जुनून जो मुझे आज भी सुलाता नहीं।
बात उस शाम की है जब दिल्ली में तेज़ बारिश हो रही थी। मैं ऑफिस से लौटा, पूरी तरह भीगा हुआ, दरवाज़ा खोला तो भाभी बाहर खड़ी थीं, उनके फ्लैट का दरवाज़ा लॉक। “अमन, चाबी भूल गई हूँ, भैया जी को फोन किया लेकिन वो शहर से बाहर हैं। क्या करूँ?” उनकी साड़ी भीगी हुई, चिपक गई थी बॉडी से। चुचियाँ उभरी हुईं, कमर पर पानी की बूँदें लुढ़क रही थीं। मैंने कहा, “भाभी, अंदर आ जाओ, सूख जाओ।” वो अंदर आईं, मैंने तौलिया दिया। “शुक्रिया अमन, तुम्हारा घर कितना साफ-सुथरा है, शहर के लड़के ऐसे ही होते हैं क्या?” वो मुस्कुराईं, बाल सुखाते हुए, और मैं चाय बनाने लगा। हम सोफे पर बैठे, चाय पीते हुए बातें शुरू हुईं – जिंदगी की, अकेलेपन की, शादी की। “भाभी, भैया जी टूर पर जाते हैं, अकेले कैसे कटती हैं रातें? कोई स्पेशल तरीका?” मैंने मजाक में पूछा। वो चुप रहीं, फिर बोलीं, “अमन, कभी-कभी बहुत अकेलापन लगता है। स्पर्श की भूख, प्यार की जरूरत… तुम्हें क्या पता, तुम तो जवान हो, लड़कियाँ घूमती होंगी।” उनकी आँखों में उदासी थी, लेकिन एक चमक भी जो मुझे खींच रही थी।
बारिश और तेज़ हो गई, बाहर पानी भरने लगा। भाभी उठीं, “मुझे जाना चाहिए, कोई रास्ता निकाल लूँगी।” लेकिन मैंने हाथ पकड़ लिया, “भाभी, बाहर खतरा है, रात यहाँ रुक जाओ। मैं सोफे पर सो लूँगा, आप कमरे में।” वो हिचकिचाईं, लेकिन सहमत हो गईं। रात का खाना बनाया हमने साथ, हँसी-मजाक हुआ। “अमन, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?” पूछा। मैंने कहा, “नहीं भाभी, बस काम। लेकिन अगर कोई आप जैसी हो तो…” वो हँसीं, लेकिन नज़रें मिलीं। खाना खाकर वो कमरे में गईं, मैं सोफे पर लेटा। लेकिन नींद न आई। मन में भाभी का चेहरा, भीगी साड़ी। अचानक दरवाज़ा खुला, भाभी बाहर आईं, “अमन, नींद नहीं आ रही। बात करें?” वो मेरे पास बैठीं, नाइटि में, बॉडी की खुशबू। हाथ मेरे हाथ पर रख दिया। “भाभी…” मैं फुसफुसाया। वो करीब आईं, होंठ मिले। पहला किस – मीठा, गर्म, जैसे सालों की भूख। जीभ खेली, सलाइवा मिक्स हुआ। हाथ उनकी कमर पर सरका, साड़ी सरकाई। ब्लाउज़ खोला, ब्रा उतारी। चुचियाँ बाहर, गोल, सख्त निप्पल गुलाबी। “भाभी, कितनी हसीन हो तुम।” चूसा मैंने, जीभ घुमाई, काटा हल्के से। “आह अमन… जोर से चूस, दांत लगा!” वो सिसकी, मेरे बाल पकड़कर दबाने लगी। बॉडी में आग लग गई।
भाभी ने मेरी शर्ट उतारी, पैंट खोली। लंड तना हुआ, 6 इंच का मोटा। “वाह अमन, कितना सख्त है तेरा लंड।” हाथ से मसला, मुंह में लिया। चूसने लगीं, जीभ से चाटी, गले तक। सलाइवा टपक रहा। “मम्म… भाभी, तेरी जीभ जादू है!” बाल पकड़े, मुंह चोदा। फिर भाभी लेटीं, नाइटि पूरी उतार दी। नंगी बॉडी – गोरी, चूत गुलाबी, शेव्ड, रस टपक रहा। “चाट अमन, मेरी चूत चाट।” मैं झुका, जीभ अंदर, क्लिट चूसा। “आह… तेरी जीभ से पागल हो जाऊँगी! रस पी ले।” मीठा रस पिया। फिर उँगली डाली, दो। “अमन, उँगली से चोद!” स्पीड बढ़ाई। वो तड़पी, “अब लंड डाल, चूत की आग बुझा!” मैं ऊपर चढ़ा, लंड रगड़ा, धक्का मारा। अंदर गया, टाइट चूत जकड़ ली। “आह अमन, फाड़ दिया तूने!” स्पीड पकड़ी, कमर पकड़कर पेला। चुचियाँ उछल रही, दबाईं, चूसीं। “चोद भाभी को जोर से, सुहागरात मना!” थप्पड़ मारे गांड पर। 30 मिनट चली, पोज़िशन बदली – काउगर्ल, वो ऊपर उछलीं। “अमन, लंड अंदर तक!” झड़े दोनों, वीर्य चूत में भर दिया।
सुबह उठे, भाभी मुस्कुराईं। “अमन, ये राज़ रहेगा।” लेकिन वो रात से रिश्ता बदल गया। अगले दिन भैया जी आए, लेकिन हमारी नज़रें मिलतीं। शाम को बालकनी में। “अमन, कल रात याद आ रही।” चुपके चुंबन। एक हफ्ता बीता, रोज़ चोरी-चोरी स्पर्श। एक रात भैया जी सोए, भाभी मेरे फ्लैट में। “आज फुल सुहागरात।” कमरा सजाया, फूल, मोमबत्तियाँ। भाभी लाल साड़ी में, दुल्हन सी। साड़ी उतारी, नंगी। 69। चूत चाटी, लंड चूसा। “अमन, रस निकाल!” फिर मिशनरी। आँखों में देख चोदा। “भाभी, तेरी चूत स्वर्ग है।” जोर-जोर धक्के। डॉगी में बदला, पीछे से पेला। “फाड़ दे चूत!” एनल ट्राई। “दर्द अमन!” तेल लगाया, अंदर। “मजा आ रहा!” डबल उँगली चूत में। झड़े। रात भर चुदाई, ब्रेक में बातें – जिंदगी की, प्यार की।
एक महीने बाद, भैया जी को शक। “प्रिया, तू अमन से ज्यादा बातें क्यों?” झगड़ा। भाभी रोईं। “अमन, खत्म करना पड़ेगा।” लेकिन दिल न माना। एक आखिरी रात। “सुहागरात की तरह।” चोदा जोर से, झड़े। आज भी याद आती है वो रातें, भाभी की सिसकारियाँ। पड़ोसन भाभी, मेरी सुहागरात – अधूरा सुख, लेकिन यादें अमर।