Bhai Bahan Sex Story : मेरा नाम सोनिया है। अब मैं २२ की हूँ, शहर में कॉलेज करती हूँ, हॉस्टल में रहती हूँ। लेकिन वो कल रात… कल रात भाई के चक्कर में फंस गई मैं… आज भी सोचती हूँ तो बदन काँप जाता है, जैसे फिर वही सब हो रहा हो। मुझे आज भी याद है उनके हाथ मेरी कमर पर, उनका गरम लंड मेरी चूत में घुसते हुए, और वो सिसकारियाँ जो मैं रोक नहीं पाई। भाई का नाम विक्की है, मुझसे तीन साल बड़ा, २५ का। जिम जाता है, बॉडी मजबूत, चौड़ी छाती, और नीचे… वो तो कल रात पता चला। हम दोनों घर में बहुत करीब थे हमेशा। मम्मी-पापा गांव में रहते हैं, हम शहर में किराए के फ्लैट पर। विक्की जॉब करता है, मैं पढ़ती हूँ। वो मुझे बहुत प्यार करता है – खाना बनाता, कपड़े धोता, रात को बातें करता। लेकिन पिछले एक साल से कुछ अजीब हो रहा था। वो मुझे देखता तो नजरें चूचियों पर रुक जातीं, या जब मैं शॉर्ट्स में घूमती तो गांड पर। मैं भी फील करती थी – उसकी बॉडी देखकर मन में कुछ होता। रात को उसके कमरे से गुजरती तो सोचती – क्या कर रहा होगा। गिल्ट होता था, भाई है आखिर, लेकिन वो चाहत… बढ़ती जा रही थी।
कल रात की बात है। मैं हॉस्टल से वीकेंड पर घर आई थी। मम्मी-पापा गांव गए थे किसी रिश्तेदार की शादी में। घर पर सिर्फ मैं और विक्की। शाम को हमने साथ खाना बनाया, फिल्म देखी। वो सोफे पर बैठा था, मैं उसके पास लेट गई सिर उसकी गोद में रखकर। फिल्म रोमांटिक थी, कुछ हॉट सीन आए। मैंने फील किया विक्की का लंड पैंट में टाइट हो रहा है, मेरे सिर के नीचे। मैं शर्मा गई, लेकिन हटी नहीं। वो मेरे बाल सहला रहा था। फिर बोला, “सोनिया… तू कितनी बड़ी हो गई है यार।” मैंने ऊपर देखा, उसकी आँखों में कुछ और था। मैं चुप रही। उसका हाथ मेरे पेट पर सरक गया, टॉप के नीचे। मैं सिहर गई। बोली, “भैया… क्या कर रहे हो?” लेकिन आवाज में वो जोश नहीं था रुकने का।
वो बोला, “सोनिया… कितने टाइम से तुझे देखता हूँ। तेरी बॉडी… तेरी चूचियाँ… रोक नहीं पाता।” मैं चौंकी, लेकिन मन में खुशी हुई। मैंने कहा, “भैया… हम भाई-बहन हैं…” लेकिन हाथ उसका आगे बढ़ गया। मेरे टॉप के बटन खोले। ब्रा के ऊपर चूचियाँ दबाने लगा। मेरे निप्पल्स सख्त हो गए। मैं सिसकारी, “भैया… नहीं…” लेकिन पैर फैल गए अपने आप। वो मुझे गोद में उठाया, अपने कमरे में ले गया। बेड पर लिटाया। लाइट ऑफ कर दी, सिर्फ बाहर की स्ट्रीट लाइट आ रही थी। वो मेरे ऊपर आया। किस किया – होंठों पर, गर्दन पर। मैंने भी जवाब दिया। सालों से जो दबा था, बाहर आ गया।
वो बोला, “सोनिया… आज तुझे अपना बना लूँगा।” मैंने कुछ नहीं कहा, बस उसे खींचा। उसने मेरा टॉप उतारा, ब्रा खोली। चूचियाँ बाहर। वो चूसने लगा – एक को मुँह में, दूसरे को हाथ से। मैं तड़प रही थी, “भैया… आह… चूसो… मजा आ रहा है…” मेरी चूत गीली हो गई थी। उसका हाथ नीचे गया, शॉर्ट्स के अंदर। पैंटी गीली। उँगलियाँ चूत पर घुमाने लगा। बोला, “सोनिया… कितनी गरम है तेरी चूत… पूरी तर हो गई।” दो उँगलियाँ अंदर डालीं। मैं कमर उठा रही थी, “भैया… और अंदर… आह…” वो उँगलियाँ तेज चलाने लगा। मैं झड़ गई पहली बार, रस उसके हाथ पर।
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी। छाती पर किस किया। नीचे पैंट। लंड बाहर आया – मोटा, लंबा, सख्त। मैंने हाथ में लिया, सहलाया। बोली, “भैया… कितना बड़ा है… गरम लग रहा है।” मुँह में लिया। चूसा। विक्की कराह रहा था, “सोनिया… आह… तेरी जीभ… चूस बहन… पूरा ले…” मैं गले तक लेने की कोशिश की। फिर वो मुझे लिटाया। शॉर्ट्स और पैंटी उतारी। मेरी चूत पर मुँह रखा। जीभ से चाटने लगा। क्लिट चूसी। मैं चिल्ला रही थी, “भैया… चाट… आह… तेरी बहन की चूत चाट… मजा आ रहा है…” वो चाटता रहा, उँगलियाँ अंदर। मैं फिर झड़ी।
फिर वो ऊपर आया। लंड चूत पर रगड़ा। बोला, “सोनिया… डालूँ?” मैंने हाँ कहा। धीरे से डाला। चूत टाइट थी, दर्द हुआ। मैं चीखी, “भैया… धीरे… फट जाएगी…” वो रुका, फिर पूरा डाला। दर्द कम हुआ, मजा आने लगा। वो धक्के मारने लगा। धीरे-धीरे, फिर तेज। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, वो दबाता। मैं बोली, “भैया… जोर से… चोद मुझे… अपनी बहन को चोद…” वो पागल हो गया। तेज-तेज धक्के। बेड हिल रहा था। मैं नाखून उसकी पीठ में गड़ा रही थी। आखिर में वो अंदर झड़ा। गर्म वीर्य मेरी चूत में। मैं भी काँपकर झड़ी।
हम लिपटकर लेटे रहे। विक्की बोला, “सोनिया… कल रात भाई के चक्कर में फंस गई तू… लेकिन मजा आया ना?” मैं शर्मा गई, बोली, “हाँ भैया… बहुत।” उस रात हम पाँच बार किए। दूसरी बार मैं ऊपर आई, खुद कमर हिलाई। उसका लंड मेरी चूत में गहरा जा रहा था। तीसरी बार शावर में – पानी के नीचे, मैं दीवार से टिकी, वो पीछे से चोद रहा था। मेरी गांड पर थप्पड़ मारता। चौथी बार 69 में – मैं उसका लंड चूसती, वो मेरी चूत। सुबह उठते ही फिर। वो मेरी गांड में उँगली करता, बोला, “अगली बार गांड मारूँगा।” मैं डर गई, लेकिन हाँ कह दी।
अब सोचती हूँ – कल रात भाई के चक्कर में फंस गई मैं… लेकिन खुश हूँ। गिल्ट है, लेकिन वो सुकून ज्यादा। विक्की कहता है, “सोनिया, तू मेरी है अब।” मैं मान जाती हूँ। हॉस्टल में रहकर भी वीकेंड पर घर आती हूँ सिर्फ उसके लिए। शायद ये गलत है, लेकिन वो प्यार… वो चुदाई… रोक नहीं पाती। आज ये सब लिखकर लगा हल्का हो गई। शायद ये राज़ हमेशा हमारा रहे।