देवर मुझे रोज़ाना चोदता है, पति रहते हैं दिल्ली में, मैं रहती हूँ गाँव में

आप यह कहानी Meri Sex Story Dot Com पर पढ़ रहे हैं। मैं, रानी, 27 साल की, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में रहती थी। मेरी गोरी त्वचा, भरे हुए बूब्स, और मटकती गांड गाँव के मर्दों की नज़रों का शिकार थी। मेरा पति, अजय, 32 साल का, दिल्ली में नौकरी करता था और महीने में एक बार घर आता था। मेरी चूत की प्यास उसकी अनुपस्थिति में बेकरार रहती थी। लेकिन मेरा देवर, संजय, 24 साल का, मज़बूत जिस्म और शरारती मुस्कान वाला जवान, मेरी हवस का जवाब बन गया। वह मुझे रोज़ाना चोदता था, और मेरी चूत और गांड उसके मोटे लंड की दीवानी हो गई।

उस दोपहर गाँव में सन्नाटा था। मैंने एक पतली साड़ी पहनी थी, जिसका पल्लू मेरी चूचियों से सरक रहा था। संजय खेत से लौटा और मुझे आँगन में देखकर मुस्कुराया। “भाभी, आज फिर चूत की आग बुझानी है?” उसने शरारत से पूछा। मैंने होंठ चाटे और जवाब दिया, “संजय, तेरे लंड के बिना मेरी चूत तड़पती है।” उसने मुझे अपनी बाहों में खींचा और मेरे होंठों को चूम लिया। उसका चुंबन इतना गहरा था कि मेरी साँसें रुक गईं। उसकी जीभ मेरे होंठों से खेल रही थी, और मैंने उसकी कमीज पकड़कर उसे और करीब खींच लिया।

संजय ने मेरी साड़ी का पल्लू खींचकर फेंक दिया। मेरा ब्लाउज़ मेरी चूचियों को मुश्किल से समेटे था। उसने ब्लाउज़ के बटन खोले, और मेरी नीली ब्रा में कैद चूचियाँ सामने आईं। उसने ब्रा का हुक खोला, और मेरे भरे हुए बूब्स आज़ाद हो गए। “भाभी, तेरी चूचियाँ तो दूध से भरी हैं,” उसने कराहते हुए कहा। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं, निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा। मेरी सिसकियाँ आँगन में गूंजने लगीं। मैंने अपनी साड़ी ऊपर उठाई, और संजय ने मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाया। मेरी चूत पहले ही गीली थी।

उसने मेरी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। मेरी नीली पैंटी मेरी गीली चूत से चिपक चुकी थी। उसने पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, धीरे-धीरे रगड़ते हुए। “भाभी, तेरी चूत तो मेरे लंड के लिए तड़प रही है,” उसने फुसफुसाया। मैंने कराहते हुए जवाब दिया, “संजय, अपने लंड से मेरी चूत चोद दे।” उसने मुझे चारपाई पर लिटाया और मेरी जांघें चौड़ी कीं। उसने अपनी धोती उतारी, और उसका मोटा लंड मेरे सामने था, 8 इंच का, सख्त और गर्म। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा, और मैं सिसकियाँ लेने लगी।

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संजय ने धीरे से लंड मेरी चूत में डाला, और मेरी ज़ोरदार चीख निकली। “संजय, धीरे, मेरी चूत फट जाएगी,” मैंने सिसकते हुए कहा। उसने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। दर्द मज़े में बदल गया, और मेरी सिसकियाँ कामुक कराह में तब्दील हो गईं। संजय ने रफ्तार बढ़ा दी, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई को छू रहा था। “भाभी, तेरी चूत चोदने का मज़ा ही अलग है,” उसने कराहते हुए कहा। मैंने जवाब दिया, “संजय, मेरी चूत को और चोद, इसे तृप्त कर दे।”

उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड को सहलाया। “भाभी, तेरी गांड भी चोदूँगा,” उसने शरारत से कहा। मैंने सिसकते हुए जवाब दिया, “संजय, मेरी गांड भी ले ले।” उसने अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। मेरी चीख निकली, “धीरे, मेरी गांड फट जाएगी।” उसने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, और मेरी गांड उसके लंड को निगल रही थी। उसकी चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मैं सिसकियाँ ले रही थी, और मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं।

अगले दिन सुबह मैं रसोई में थी, जब संजय चुपके से आया। उसने मेरी साड़ी ऊपर उठाई और मेरी चूत को सहलाया। “भाभी, तेरी चूत का स्वाद रातभर दिमाग में है,” उसने फुसफुसाया। मैंने कराहते हुए कहा, “संजय, मेरी चूत को फिर चोद।” उसने मुझे काउंटर पर झुकाया और मेरी चूत में लंड डाल दिया। उसकी चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरी सिसकियाँ रसोई में गूंजने लगीं। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं और मेरी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी।

रोज़ाना की चुदाई ने मेरी हवस को नई ऊँचाइयाँ दीं। संजय मुझे कभी खेत में, कभी गोदाम में, तो कभी रात को छत पर चोदता। एक दिन उसका दोस्त, राकेश, 25 साल का, गठीला और शरारती, घर आया। उसने हमें गोदाम में देख लिया। “भाभी, संजय मज़ा ले रहा है, मुझे भी शामिल करो,” उसने हँसकर कहा। मैंने बोल्ड अंदाज़ में जवाब दिया, “आ जा, राकेश, मेरे मुँह में जगह है।” संजय ने राकेश को पास बुलाया, और उसने अपनी धोती उतारी। उसका मोटा लंड मेरे सामने था।

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राकेश ने मेरे मुँह में लंड डाला, और मैं उसे चूसने लगी। संजय मेरी चूत चोद रहा था, और मेरा जिस्म दो लंडों से भरा था। राकेश की सिसकियाँ तेज़ हो गईं, और उसने मेरे बाल पकड़ लिए। “भाभी, तू तो लंड की दीवानी है,” उसने कराहते हुए कहा। मैंने जवाब दिया, “हाँ, मैं तुम दोनों के लंड की गुलाम हूँ।” संजय ने मेरी चूचियाँ दबाईं, और मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी। राकेश ने मेरे मुँह में अपनी गर्मी छोड़ दी, और संजय ने मेरी चूत में रस बिखेरा।

अगली रात संजय ने मुझे छत पर बुलाया। उसने मेरी साड़ी उतारी और मेरी चूत में उंगलियाँ डालीं। “भाभी, तेरी चूत हर बार नई लगती है,” उसने कहा। मैंने कराहते हुए जवाब दिया, “संजय, मेरी चूत तेरे लंड की दीवानी है।” उसने मुझे छत की दीवार से टिकाया और मेरी चूत में लंड डाल दिया। उसकी चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरी सिसकियाँ रात के सन्नाटे में गूंज रही थीं। उसने मेरी चूचियाँ चूसीं और मेरी चूत में फिर से अपनी गर्मी छोड़ दी।

संजय की चुदाई हर दिन अलग थी। कभी वह मुझे खेत में गन्ने के बीच चोदता, तो कभी तालाब के किनारे। मेरी चूत और गांड उसके लंड की आदी हो गई थी। एक दिन उसने मेरी गांड में लंड डाला और इतनी ज़ोर से चोदा कि मेरी चीखें गाँव तक गईं। “भाभी, तेरी गांड मेरे लंड की गुलाम है,” उसने कराहते हुए कहा। मैंने जवाब दिया, “संजय, मेरी चूत और गांड सिर्फ़ तेरे लिए हैं।” उसने मेरी गांड में रस छोड़ा, और मैं तृप्त होकर लेट गई।

मेरे जिस्म पर चुदाई के निशान थे—मेरी चूचियों पर संजय के दाँतों के निशान और मेरी गांड पर उसके थप्पड़ों के लाल निशान। एक दिन राकेश फिर आया, और दोनों ने मिलकर मेरी चूत और गांड को चोदा। संजय ने मेरी चूत में लंड डाला, और राकेश ने मेरी गांड में। मेरी सिसकियाँ और चीखें गोदाम में गूंज रही थीं। “भाभी, तू हमारी रानी है,” संजय ने कहा। मैंने जवाब दिया, “संजय, मेरी चूत और गांड तुम दोनों के लंड की गुलाम हैं।”

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अजय जब महीने में एक बार आता, मैं उससे चुदवाती, लेकिन मेरी चूत को संजय के लंड की आदत हो चुकी थी। उसका मोटा लंड मेरी चूत और गांड को हर बार तृप्त करता था। एक रात संजय ने मुझे खेत में चोदा, और उसकी चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरी चूत ने उसके रस को निगल लिया। “भाभी, तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी है,” उसने कहा। मैंने जवाब दिया, “संजय, मुझे तुझसे रोज़ाना चुदवाना अच्छा लगता है।”

संजय की चुदाई ने मेरी ज़िंदगी को रंगीन बना दिया। गाँव की शांत रातें अब मेरी सिसकियों और चीखों से भरी थीं। मेरी चूत और गांड उसके लंड की भूखी रहती थी। एक दिन उसने मुझे तालाब के किनारे चोदा, और मेरी चूचियाँ पानी में भीग गईं। उसने मेरी गांड में लंड डाला और इतनी ज़ोर से चोदा कि मैं तृप्त होकर लेट गई। “भाभी, तू मेरी रानी है,” उसने कहा। मैंने जवाब दिया, “संजय, मेरी चूत और गांड तेरे लंड की गुलाम हैं।”

मेरी चुदाई का सिलसिला रोज़ाना चलता रहा। संजय का मोटा लंड मेरी चूत और गांड को हर बार नई उत्तेजना देता था। मैं जानती थी कि अजय दिल्ली में है, लेकिन मेरी चूत संजय के लंड की दीवानी थी। उसकी चुदाई ने मेरी हवस को चरम पर पहुँचाया, और मैं हर रात उसके लंड के लिए तड़पती थी।