मेरा नाम अनन्या है। मैं दिल्ली में रहती हूँ, और मेरी उम्र 23 साल है। मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती हूँ, और मेरा सपना है कि एक दिन मैं अपनी खुद की कंपनी शुरू करूँ। मैं दिखने में गोरी हूँ, मेरे लंबे काले बाल हैं, और मेरा स्लिम फिगर मेरे टाइट कपड़ों में और भी आकर्षक लगता है। ये हिंदी सेक्स कहानी मेरे सौतेले पिता, जिन्हें मैं पापा कहती हूँ, के साथ की है। पापा की उम्र 45 साल है, वो दिखने में हैंडसम, मज़बूत शरीर, और उनकी आँखों में एक अलग सी चमक है। ये चुदाई कहानी उस रात की है, जब हम दिल्ली से जयपुर एक स्लीपर बस में जा रहे थे, और पापा ने मुझे प्यार का एक नया एहसास करवाया।
मेरी मम्मी एक सरकारी ऑफिसर हैं, और वो हमेशा अपने काम में व्यस्त रहती हैं। मेरे असली पिता का देहांत मेरे बचपन में ही हो गया था, और मम्मी ने 6 साल पहले दूसरी शादी की। पापा एक बिजनेसमैन हैं, और वो ज़्यादातर समय घर पर ही रहते हैं। मेरा और पापा का रिश्ता बहुत प्यारा है। वो मुझसे हमेशा हँसी-मज़ाक करते हैं, मेरी हर बात का ख्याल रखते हैं, और मुझे उनके साथ वक्त बिताना बहुत पसंद है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से मैंने उनकी नज़रों में एक अलग सा भाव देखा। जब मैं टाइट टॉप और शॉर्ट्स पहनकर घर में घूमती, तो उनकी नज़रें मेरे शरीर पर रुक जातीं, और मेरा मन अजीब सी बेचैनी से भर जाता।
उस दिन हमें जयपुर में एक फैमिली फंक्शन में जाना था। मम्मी अपने ऑफिस के काम की वजह से पहले ही जयपुर चली गई थीं, और मैं और पापा एक स्लीपर बस से रात को दिल्ली से जयपुर जा रहे थे। हमने एक डबल स्लीपर सीट बुक की थी, क्योंकि बस में सिंगल सीट्स उपलब्ध नहीं थीं। मैंने एक टाइट ब्लैक टॉप और लेगिंग्स पहनी थी, जो मेरे शरीर को पूरी तरह से हाइलाइट कर रही थी। रात के 9 बजे हम बस में चढ़े, और हमारी सीट ऊपर की साइड में थी। स्लीपर सीट का केबिन छोटा सा था, और उसमें हम दोनों को एक साथ लेटना था। पापा ने मुझे पहले अंदर जाने दिया, और फिर वो मेरे बगल में लेट गए। बस चलने लगी, और हल्की ठंडी हवा खिड़की से अंदर आ रही थी।
बस की लाइट्स धीमी हो गई थीं, और चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा था। मैं पापा के बगल में लेटी हुई थी, और हमारी साँसें एक-दूसरे को छू रही थीं। “अनन्या, ठंड लग रही है क्या?” पापा ने धीरे से पूछा। मैंने हल्के से मुस्कुराकर कहा, “हाँ पापा, थोड़ा सा।” उन्होंने अपनी चादर मेरे ऊपर डाल दी, और मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे अपनी तरफ खींच लिया। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे को छू रही थीं, और मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा। “पापा, आप बहुत अच्छे हो,” मैंने फुसफुसाते हुए कहा। उन्होंने मेरी आँखों में देखा और कहा, “अनन्या, तू मेरे लिए बहुत खास है।” उनकी बातों में एक गहराई थी, जो मेरे मन को बेचैन कर रही थी।
पापा ने धीरे से मेरे गाल पर एक हल्का सा चुम्बन दिया। उनका स्पर्श इतना नरम था कि मेरा शरीर काँप उठा। “पापा, ये ठीक है ना?” मैंने डरते हुए पूछा। उन्होंने मेरे कान के पास फुसफुसाकर कहा, “अनन्या, ये हमारा राज़ रहेगा। मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ।” उनकी बातें सुनकर मेरा डर कहीं गायब हो गया, और मैंने खुद को उनकी बाहों में छोड़ दिया। उन्होंने मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन दिया, और मैं उनके प्यार में डूब गई। हम एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे, और मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी फैलने लगी। मैंने उनके सीने पर हाथ रखा, और उनकी गर्मी मेरे अंदर तक उतर गई।
पापा ने मेरे टॉप को धीरे से ऊपर सरकाया, और मेरी गोरी कमर उनके सामने थी। उन्होंने मेरी कमर पर चुम्बन दिए, और मेरे मुँह से हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं। “पापा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है…” मैंने सिसकते हुए कहा। उन्होंने मेरा टॉप और ब्रा उतार दी, और मेरे नरम स्तन उनके सामने थे। उन्होंने मेरे स्तनों को प्यार से सहलाया, और उन पर चुम्बन शुरू कर दिए। मेरा शरीर आनंद से काँपने लगा, और मैं उनकी हर हरकत में खो गई। उनकी जीभ मेरे निपल्स पर फिरने लगी, और मैं सिसकते हुए उनके बालों में उंगलियाँ फिराने लगी।
मैंने पापा की शर्ट उतार दी, और उनकी मज़बूत छाती मेरे सामने थी। मैंने उनके सीने पर चुम्बन दिए, और उनकी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने उनकी पैंट उतार दी, और उनका मोटा लिंग मेरे सामने था। “पापा, ये बहुत बड़ा है…” मैंने लजाते हुए कहा। उन्होंने हँसकर कहा, “अनन्या, ये सिर्फ़ तेरे लिए है।” मैंने हल्के से उनके लिंग को सहलाया, और उनकी सिसकारियाँ केबिन में गूँजने लगीं। मैंने साहस करके उनके लिंग पर एक चुम्बन दिया, और उनका शरीर आनंद से काँप उठा। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया, और हम एक-दूसरे के शरीर से लिपट गए।
पापा ने मुझे स्लीपर सीट पर लिटाया, और मेरे ऊपर आ गए। उन्होंने मेरी लेगिंग्स और पैंटी उतार दी, और मेरा नग्न शरीर उनके सामने था। “अनन्या, तू किसी अप्सरा से कम नहीं है,” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा। उन्होंने मेरे शरीर पर प्यार की बौछार शुरू कर दी। मेरे पेट पर, जाँघों पर, और योनि पर उन्होंने चुम्बन दिए, और मेरा शरीर उत्तेजना से थरथराने लगा। उनकी उंगलियाँ मेरी योनि पर हल्के से फिरने लगीं, और मैं आनंद से सिसकने लगी। “पापा, मुझे और चाहिए…” मैंने सिसकते हुए कहा।
पापा ने मेरी योनि पर अपना लिंग हल्के से रगड़ा, और मेरा शरीर और ज़्यादा उत्तेजित हो गया। “पापा, धीरे करना…” मैंने फुसफुसाते हुए कहा। उन्होंने धीरे से अपने लिंग को मेरी योनि में प्रवेश करवाया, और पहली बार में मुझे हल्का सा दर्द हुआ। लेकिन उन्होंने मुझे शांत किया, और धीरे-धीरे गति बढ़ाई। मेरी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गईं, “पापा, और तेज़… मुझे बहुत मज़ा आ रहा है…” मैंने सिसकते हुए कहा। उन्होंने मुझे तेज़ी से चोदा, और मेरा शरीर उनके हर धक्के के साथ काँप रहा था।
हमने अलग-अलग पोजीशन में एक-दूसरे को प्यार किया। कभी मैं उनके ऊपर थी, तो कभी उन्होंने मुझे पीछे से पकड़कर प्यार किया। मेरी नरम गांड उनके धक्कों से काँप रही थी, और हर पल मुझे स्वर्ग में ले जा रहा था। “अनन्या, तेरे साथ ये एहसास बहुत खूबसूरत है…” पापा ने सिसकते हुए कहा। मैंने उनके गले पर चुम्बन दिए, और कहा, “पापा, तुमने मुझे प्यार का असली मज़ा सिखा दिया।” हमारा ये प्रेम खेल घंटों तक चला, और बस की हल्की हलचल हमारे प्यार को और रोमांचक बना रही थी।
आखिरकार हम थक गए, और एक-दूसरे की बाहों में लेट गए। पापा ने मेरे माथे पर एक चुम्बन दिया, और कहा, “अनन्या, तू मेरे लिए बहुत खास है।” मैंने उनकी छाती पर सिर रखा, और कहा, “पापा, ये रात मेरे लिए सबसे अनमोल है।” हम एक-दूसरे को गले लगाकर सो गए, और बस की हल्की आवाज़ हमें नींद में ले गई। सुबह जब हम जयपुर पहुँचे, तो हमने अपने कपड़े ठीक किए, और सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो गया।
जयपुर में फैमिली फंक्शन के बाद हम दिल्ली वापस आ गए। लेकिन जब भी मैं और पापा अकेले होते हैं, उनकी आँखों में उस रात की चमक दिखती है। हमने उस रात के बाद फिर ऐसा कुछ नहीं किया, लेकिन हमारा रिश्ता अब पहले से कहीं ज़्यादा गहरा हो गया है। पापा कभी-कभी मेरे कान में फुसफुसाकर कहते हैं, “अनन्या, तू मेरी सबसे प्यारी बेटी है।” और मैं हँसकर कहती हूँ, “पापा, तुम मेरे सबसे प्यारे पापा हो।”
अब मैं अपनी जॉब और ज़िंदगी में व्यस्त हूँ। लेकिन जब मैं अकेली होती हूँ, तो उस रात की यादें मेरे मन में ताज़ा हो जाती हैं। पापा का वो प्यार भरा स्पर्श, उनकी गर्म साँसें, और मेरी सिसकारियाँ मुझे फिर से उत्तेजित कर देती हैं। मेरा शरीर उत्तेजना से काँपने लगता है, और मैं उन पलों को फिर से जी लेती हूँ। वो रात मेरे दिल में एक गुप्त खजाना बनकर रह गई है।
उस रात ने मुझे प्यार का एक नया मतलब सिखाया। पापा ने मुझे जो एहसास करवाया, वो मेरे लिए एक अनमोल तोहफा है। मैं अब अपनी ज़िंदगी में खुश हूँ, लेकिन वो रात मेरे मन में एक खूबसूरत सपने की तरह बसी हुई है। मैं जानती हूँ कि समाज की नज़र में हमारा रिश्ता गलत हो सकता है, लेकिन मेरे दिल में वो एक प्यारा राज़ है, जो मुझे हमेशा मुस्कुराहट देता है।
आज, शनिवार, 24 मई 2025, सुबह 08:50 बजे IST, ये हिंदी सेक्स कहानी मैंने अपने दिल से आपके लिए लिखी। अनन्या और उसके पापा की ये कामुक कहानी मेरे लिए एक खास अनुभव है। मुझे उम्मीद है कि ये सेक्सी कहानी आपके मन में भी एक खास जगह बनाएगी।