Sauteli Ma Sex Story : मैं, आकाश, 22 साल का एक जवान और फिट लड़का, मुंबई के एक पॉश इलाके में अपने पापा और सौतेली माँ, माया, के साथ रहता था। मेरी असली माँ का देहांत मेरे जन्म के बाद हो गया था, और पापा ने माया से दूसरी शादी की थी जब मैं 10 साल का था। माया, 38 साल की एक खूबसूरत और कामुक औरत थी। उसका गोरा रंग, लंबे रेशमी बाल, भरे हुए चूचे, और गोल-मटोल चूतड़ किसी को भी पागल कर सकते थे। उसकी कातिलाना मुस्कान और टाइट साड़ियों में उसकी देह मुझे रातों को जगा देती थी। लेकिन मुझे क्या पता था कि माया मेरे बिना रह नहीं सकती, और उसकी ये चाहत एक रात हमारी ज़िंदगी बदल देगी।
उस रात की बात है जब पापा एक बिजनेस ट्रिप के लिए दिल्ली गए थे। मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था, और माया किचन में खाना बना रही थी। उसने एक टाइट ब्लैक साड़ी पहनी थी, जो उसकी कमर और चूतड़ को उभार रही थी। रात के 11 बजे, उसने मुझे खाने के लिए बुलाया। मैं डाइनिंग टेबल पर पहुंचा तो देखा कि उसने सिर्फ मेरे लिए खाना परोसा था। “माया, तुम खाना नहीं खाओगी?” मैंने पूछा। उसने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “आकाश, मुझे आज कुछ और खाने का मन है।” उसकी बात सुनकर मेरी सांसें भारी हो गईं।
खाना खाने के बाद, माया मेरे पास सोफे पर बैठ गई। उसकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरक गया था, और उसकी क्लीवेज साफ दिख रही थी। “आकाश, तू अब बड़ा हो गया है… बहुत मर्द दिखता है,” उसने मेरी जांघ पर हाथ रखते हुए कहा। मेरी चूत में सनसनाहट होने लगी। मैंने हिम्मत करके कहा, “माया, तुम तो हर दिन और हॉट लगती हो। पापा सचमुच लकी हैं।” उसने मेरी आंखों में देखा और फुसफुसाया, “लेकिन पापा मेरी चूत की आग नहीं बुझा पाते, आकाश। वो काम तो तुझे करना होगा।”
उसकी बात सुनकर मेरे शरीर में आग लग गई। उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुंबन इतना गहरा और जुनूनी था कि मैं सब कुछ भूल गया। उसकी जीभ मेरी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उसकी साड़ी के ऊपर से उसके चूचों पर चले गए। “आकाश, मेरी चूत को चोद… मुझे तेरा लंड चाहिए,” माया सिसकते हुए बोली। मैंने उसकी साड़ी को एक झटके में खींचकर उतार दिया। उसकी काली ब्रा और पैंटी में उसकी गोरी देह चमक रही थी।
मैंने उसकी ब्रा खींचकर फेंक दी, और उसके भरे हुए चूचे मेरे सामने थे। मैंने उसके निप्पल्स को अपने मुंह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। माया की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। “आह… आकाश, मेरी चूत को छू… इसे गीला कर दे,” उसने कातरते हुए कहा। मैंने उसकी पैंटी उतारी, और उसकी चिकनी, भरी हुई चूत मेरे सामने थी। मेरी उंगलियां उसकी चूत पर फिसलने लगीं, और उसका रस मेरे हाथों पर चिपक गया। “तेरी चूत तो पहले से ही टपक रही है, माया,” मैंने कहा और अपनी जीभ उसकी चूत के दाने पर रख दी।
माया चीख पड़ी, “आह… चाट ले मेरी चूत को… और जोर से!” मेरी जीभ उसकी चूत की गहराइयों में थी, और उसका शरीर हर चाट पर कांप रहा था। उसने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे और गहराई में दबाया। मैंने उसकी चूत का रस चाट-चाटकर उसे पागल कर दिया। “आकाश, अब डाल दे… मेरी चूत तड़प रही है,” उसने चीखते हुए कहा। मैंने अपनी टी-शर्ट और जीन्स उतारी, और मेरा मोटा, तना हुआ लंड उसके सामने था। माया की आंखें चमक उठीं। “आकाश, तेरा लंड तो तेरे पापा से कहीं बड़ा है,” उसने हंसते हुए कहा और मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया।
उसने मेरे लंड के टोपे को चाटना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरी नसों पर नाचने लगी। “आह… माया, तेरा मुंह तो जन्नत है,” मैं सिसकते हुए बोला। उसने मेरा लंड गहराई तक अपने मुंह में लिया, और मैं उसके चूचों को दबाने लगा। उसकी सिसकारियां और मेरी कराहें कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसकी टांगें फैलाकर मेरा लंड उसकी चूत पर रगड़ा। “आकाश, अब डाल दे… मेरी चूत तेरा लंड मांग रही है,” माया चीखी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक उतर गया।
“आह… तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है!” माया चीखी। मैंने उसके चूतड़ पकड़ लिए और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। हर धक्के के साथ उसकी चूत मेरे लंड को निगल रही थी, और उसके चूचे हवा में उछल रहे थे। मैंने उसके निप्पल को अपने दांतों से हल्के से काटा, और माया चीख पड़ी, “और जोर से, आकाश… मेरी चूत को रगड़ दे!” मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और उसकी चीखें पूरे कमरे में गूंजने लगीं। फिर मैंने उसे पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। उसकी गोल-मटोल गांड मेरे सामने थी, और मैंने उस पर एक चपत मारी।
“तेरी ये सेक्सी गांड… इसे भी चोदना है,” मैंने कहा। माया ने हंसते हुए जवाब दिया, “तो चोद ना, आकाश… मेरी गांड तेरी है।” मैंने अपनी उंगलियां उसकी चूत के रस से गीली कीं और उसकी टाइट गांड में डालीं। माया सिसकारी, लेकिन अपनी गांड को और पीछे धकेला। मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… तेरा लंड मेरी गांड चीर रहा है!” माया चीखी, लेकिन उसकी आवाज में सुख की लहर थी।
मेरी रफ्तार धीर-धीर बढ़ी, और मेरा लंड उसकी गांड में अंदर-बाहर होने लगा। उसकी चूत से रस टपक रहा था, और उसकी चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रही थीं। मैंने उसे फिर से पलटाया और उसकी टांगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरा लंड उसकी चूत में फिर से घुसा, और मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा। “माया, मैं झड़ने वाला हूं,” मैंने कराहते हुए कहा। उसने अपनी चूत को और सिकोड़ा और बोली, “मेरे अंदर झड़, आकाश… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!”
मेरे धक्के अब और तेज हो गए। उसकी चूत और गांड दोनों मेरे लंड से रगड़ खा चुकी थीं। आखिरकार, मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा गर्म रस उसकी चूत में भर गया। माया भी उसी पल झड़ गई, और उसकी चूत का रस मेरे लंड पर बहने लगा। हम दोनों हांफते हुए एक-दूसरे की बाहों में गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। मैंने उसकी छाती पर सिर रखा और हल्के से हंसा, “माया, तेरी चूत ने मुझे पागल कर दिया।”
माया ने मेरे चूतड़ पर हल्के से थपकी दी और बोली, “आकाश, तेरा लंड मेरी चूत के बिना रह नहीं सकता।” उस दिन के बाद, माया और मेरा रिश्ता एक नया मोड़ ले चुका था। जब भी पापा घर से बाहर होते, माया मेरे बेड पर होती। उसकी भूखी नजरें और मेरे लंड का जुनून एक-दूसरे के लिए तड़पने लगा। एक बार तो उसने मुझे बाथरूम में खींच लिया और शॉवर के नीचे मेरे लंड की सवारी की। उसकी चीखें और मेरी सिसकारियां घर में गूंज रही थीं।
हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज बन गया। माया की चूत और गांड अब मेरे लंड की आदी हो चुकी थी। हर रात, जब मैं बिस्तर पर लेटता, माया की नंगी देह मेरे दिमाग में घूमने लगती। उसकी खूबसूरती और वासना ने मुझे ऐसा जकड़ा कि मैं हर बार उसके पास खिंचा चला जाता।
अगली सुबह, जब मैं नाश्ता कर रहा था, माया मेरे पास आई और मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोली, “आकाश, आज रात फिर से मेरी चूत की प्यास बुझाना।” मैंने हंसते हुए कहा, “माया, तेरी चूत मेरे लंड की गुलाम है।” उसकी हंसी पूरे घर में गूंज उठी, और हमारी आंखों में वही जुनून फिर से जल उठा।