सासूमाँ की चुदाई – हॉट हिंदी सेक्स स्टोरी

मेरा नाम अजय है। 28 साल का हूँ, और मैं एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर हूँ। शादी को दो साल हो चुके हैं, मेरी बीवी रानी के साथ सब ठीक-ठाक चल रहा है। लेकिन घर में एक और औरत है, जो मेरी सासूमाँ – यानी रानी की माँ, कमला। कमला जी 48 साल की हैं, लेकिन देखने में बिल्कुल 38-40 की लगती हैं। विधवा हैं, पति को पांच साल हो गए गुजर। गाँव से शहर आईं, रानी के साथ रहती हैं। उनका रंग साँवला, लेकिन चेहरा इतना आकर्षक कि कोई भी घूम जाए। लंबे बाल, जो हमेशा खोले रहती हैं, और बॉडी… उफ्फ, क्या कहूँ।

चूचियाँ भारी-भरकम, कमर अभी भी पतली, और गांड इतनी मोटी-गोल कि साड़ी में लपेटकर भी लहराती रहती। सासूमाँ हमेशा साड़ी पहनती हैं, वो भी ऐसी जो बॉडी को हाइलाइट कर दे। शुरू में मैं उन्हें सम्मान देता, “माँ जी” कहकर बात करता। लेकिन धीरे-धीरे उनकी नजरें… वो मुस्कान… मन में कुछ और ही ख्याल आने लगे। रानी को पता नहीं, लेकिन एक रात जो हुआ, वो चुदाई की शुरुआत थी। सासूमाँ की चूत की भूख, और मेरा लंड का जोश – वो रातें आज भी याद आती हैं। ये मेरी वो कहानी है, जो गुनाह से भरी है, लेकिन मजा इतना कि रोक न पाऊँ। सच्ची-सी लगेगी, क्योंकि ये दिल की गहराई से निकली है, गाँव-शहर की देसी महक के साथ, बिना किसी बनावटी ड्रामा के।

शुरू में सब नॉर्मल था। रानी और मैं अलग कमरे में सोते, सासूमाँ अपना कमरा। लेकिन एक दिन रानी को ऑफिस का वर्क ले जाना पड़ा – दो दिन के लिए आउट ऑफ स्टेशन। घर में सिर्फ मैं और सासूमाँ। शाम को मैं लौटा, थका-हारा। सासूमाँ रसोई में खड़ी थीं, चाय बना रही। साड़ी का पल्लू कंधे से सरक गया था, पीठ नंगी। “अजय बेटा, आ गया? चाय पी ले।” उनकी आवाज मीठी। मैं सोफे पर बैठा, वो चाय लेकर आईं। झुककर कप रखा, तो चूचियाँ ब्लाउज से बाहर झाँकने लगीं। “माँ जी, आप तो आज बहुत सुंदर लग रही हैं।” मैंने हँसकर कहा। वो शरमाईं, लेकिन आँखों में चमक। “बेटा, उम्र हो गई, अब क्या सुंदर। तू रानी को संभाल ले, बस।” लेकिन उनकी नजर मेरी पैंट पर गई, जहाँ लंड हल्का सा उभरा था। मेरा दिल धड़का। रात को डिनर के बाद हम टीवी देख रहे थे। सासूमाँ पास बैठीं, उनका कंधा मेरे से सट। “अजय, रानी नहीं है, घर सूना लगता है।” वो बोलीं। मैंने हिम्मत की, हाथ उनके कंधे पर रखा। “माँ जी, मैं हूँ ना।” वो मुड़ीं, आँखें मिलीं। वो पल था। मैंने उनके गाल पर हाथ फेरा। “माँ जी… कमला…” शब्द अटक गए। वो सिहर गईं, “अजय… ये गलत है।” लेकिन उनका हाथ मेरी जांघ पर चला गया।

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उस रात, लाइट्स बंद। सासूमाँ का कमरा। वो बेड पर लेटी थीं, साड़ी अभी भी पहने। मैं अंदर घुसा, दरवाजा बंद किया। “माँ जी, मुझे रोक ना।” मैं बोला। वो उठीं, मुझे गले लगा लिया। “अजय बेटा… मन तो मेरा भी करता है। पति चले गए, ये बदन सूख गया।” हमारा पहला किस – होंठों का स्पर्श। सासूमाँ की साँसें गर्म, जीभ अंदर। मैं पागल हो गया। हाथ उनकी पीठ पर, साड़ी का ब्लाउज खोला। ब्रा में चूचियाँ कैद। “कमला, तेरी चूचियाँ… कितनी भारी।” ब्रा उतारी। चूचियाँ बाहर – बड़े-बड़े, थोड़े लटकते, लेकिन निप्पल काले-काले, हार्ड। मुँह में लिया, चूसने लगा। जीभ से निप्पल घुमाया, दांत से काटा। सासूमाँ सिसकारीं, “आह… अजय… चूस बेटा… मेरी चूचियाँ चूस… जोर से दबा इन्हें…” मैंने दोनों दबाईं, मसलीं, चूसीं। वो मेरे सिर को दबा रही थीं, कमर हिल रही। “उफ्फ… तेरी जीभ… कितने साल बाद… और चूस अजय… निप्पल काट… हाय… मेरा दूध निकाल…”

मेरा हाथ नीचे। साड़ी का पेटीकोट ऊपर। पैंटी गीली। “कमला, तेरी चूत… रस बह रहा।” उंगली रगड़ी। सासूमाँ सिहर गईं, “अजय… छू बेटा… प्यार से छू मेरी चूत।” पैंटी उतारी। चूत – साँवली, बाल घने, लेकिन गीली। घुटनों पर बैठा, जीभ लगाई। क्लिट चूसा। “आह… चाट अजय… मेरी चूत चाट… जीभ अंदर डाल…” मैंने जीभ चोदने जैसे घुमाई, दो उंगलियाँ डालीं। सासूमाँ कमर उछालने लगीं, “हाय… फिंगर से चोद… और जोर से… मैं झड़ रही हूँ बेटा…” रस निकला, गर्म, नमकीन। मैंने चाट लिया। सासूमाँ पसीने से तर, आँखें बंद। “अजय… तू तो जान लेता है… पति भी इतना नहीं करते थे।”

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“अब तू मेरा लंड चूस,” मैं बोला। सासूमाँ घुटनों पर। मेरी पैंट उतारी। लंड बाहर – 7 इंच, मोटा। “बेटा, तेरा लंड… कितना तगड़ा!” हाथ में लिया, सहलाया। मुँह में डाला, चूसने लगीं। जीभ से सुपारा चाटा, गले तक। “कमला… चूस… जोर से चूस मेरा लंड…” मैं बाल पकड़ रहा। वो थूक से गीला करके चूस रही थीं, बॉल्स चाटीं। “तेरा लंड… सासू का मुंह भर देगा… चूसूँगी सारी रात बेटा।” मैं सिसकारा, “तेरी जीभ… कमाल है… गले तक ले…”

सासूमाँ को बेड पर लिटाया। पैर फैलाए। चूत खुली। लंड रगड़ा। “कमला, तैयार?” वो बोलीं, “हाँ बेटा… चोद… सासू की चूत फाड़ दे।” सुपारा अंदर। “आआआ… अजय… कितना मोटा…” पूरा घुसाया। चूत गर्म, ढीली लेकिन निचोड़ रही। धक्के – मिशनरी में। “ले कमला… ले मेरा लंड… तेरी चूत में…” थप-थप, चूचियाँ उछल। मैं दबा रहा। “जोर से चोद बेटा… सासू की चूत तेरी रंडी है… फाड़ दे… लंड पूरा अंदर…”

डॉगी। सासूमाँ घुटनों पर। पीछे से घुसाया। “तेरी गांड… मोटी माल।” कमर पकड़ी, धक्के। “हाय… पीछे से… थप्पड़ मार…” थप्पड़। “गांड चोदूँ?” “हाँ… गांड फाड़…” लंड निकाला, थूक, गांड में। “आह… दर्द… चोद बेटा…” टाइट गांड निचोड़। धक्के, उंगली चूत। सासूमाँ झड़ीं।

काउगर्ल। सासूमाँ ऊपर, उछलीं। “अब सासू तुझे चोदेगी।” चूचियाँ चूसी। रिवर्स – गांड दबाई। 69 – चूत चाटी, लंड चूसा। मिशनरी – “झड़ने वाला हूँ।” “अंदर… चूत में माल डाल…” झड़ गया। सासूमाँ झड़ीं।

दो रातें चुदाई। रानी लौटी, लेकिन राज हमारा। सासूमाँ की चुदाई – गुनाह, लेकिन जिंदगी का मजा। अब चुपके से जारी।