मेरा नाम रिया है, उम्र 27 साल, और मैं एक ऐसी देसी भाभी हूँ जिसके हुस्न की हर कोई तारीफ करता है। मेरा गोरा रंग दूध सा चमकता है, मेरी चूचियाँ टाइट, रसीली और भारी, जो हर नज़र को अपनी ओर खींच लेती हैं। मेरी गांड मोटी, गोल और मटकती हुई, हर कदम पर लचकती है, और मेरी पतली कमर मर्दों के दिल में आग लगा देती है। मेरे गुलाबी होंठ रस से भरे हैं, और मेरी बड़ी-बड़ी आँखों में वो मादकता है जो किसी को भी दीवाना बना दे। मैं मुंबई में अपने पति, अमित, और उनके बड़े भाई, संजय, जो मेरे जेठ हैं, के साथ रहती हूँ। पति एक बिज़नेसमैन हैं और अक्सर टूर पर रहते हैं। संजय, उम्र 35 साल, साँवला, मज़बूत और जंगली मर्द है। उसकी चौड़ी छाती, मोटी बाँहें और गहरी आँखें मुझे हमेशा बेकरार कर देती थीं। ये कहानी उस रात की है जब संजय ने मेरी नाइटी उठाकर मुझे किचन में चोद दिया।
अक्टूबर का महीना था, और मुंबई की रातें हल्की ठंडी होने लगी थीं। रात के 11 बज रहे थे, और मैं अपने कमरे में एक पतली सी सिल्क नाइटी पहने लेटी थी। नाइटी इतनी पतली थी कि मेरी चूचियाँ और निप्पल साफ दिख रहे थे, और मेरी गांड हर बार करवट लेने पर उभर रही थी। पति एक हफ्ते के टूर पर गए थे, और घर में सिर्फ मैं और संजय थे। मैं बिस्तर पर करवटें बदल रही थी, लेकिन नींद नहीं आ रही थी। मेरी चूत में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी, और मेरे दिमाग में गंदे-गंदे ख्याल आने लगे। मैंने सोचा, थोड़ा पानी पी लूँ। मैं उठी और किचन की ओर चली गई।
किचन में हल्की सी लाइट जल रही थी, और मैंने फ्रिज खोलकर पानी की बोतल निकाली। जैसे ही मैं पानी पीने लगी, मुझे पीछे से किसी की साँसें महसूस हुईं। मैंने मुड़कर देखा तो संजय वहाँ खड़ा था। उसने सिर्फ एक बनियान और शॉर्ट्स पहने थे, और उसकी छाती चमक रही थी। उसकी आँखों में एक भूख थी, जो मैं पहले भी कई बार देख चुकी थी। मैंने शरमाते हुए कहा, “जेठ जी, आप यहाँ? सोए नहीं?” वो मेरे करीब आया और बोला, “रिया, तुझे इस नाइटी में देखकर नींद कैसे आएगी? तू तो आग लगाने वाली माल है।”
उसकी बात ने मेरी चूत में हलचल मचा दी। मैंने मज़ाक में कहा, “जेठ जी, ये क्या बोल रहे हैं? मैं तो आपकी भाभी हूँ!” वो हँसा और बोला, “भाभी, तेरे इस मस्त जिस्म को देखकर मेरा लंड बेकाबू हो रहा है।” मैं शरमाई, लेकिन मेरी चूत गीली हो चुकी थी। उसने मेरी कमर पकड़ ली और मुझे अपनी ओर खींच लिया। उसकी साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं, और मैंने विरोध करने की कोशिश की, “जेठ जी, ये गलत है!” लेकिन मेरी हवस ने मेरे दिमाग को धोखा देना शुरू कर दिया।
उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और मैं उसके चुम्बन में डूब गई। उसका चुम्बन गर्म और जंगली था, और मैं उसकी जीभ चूसने लगी। मैं सिसक उठी, “आह्ह… जेठ जी, ये क्या कर रहे हो?” उसने मेरी नाइटी ऊपर उठा दी, और मेरी नंगी चूचियाँ चमक उठीं। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी, और मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे। उसने एक चूची को अपने रूखे हाथों में लिया और मसल दिया। मैं चीख पड़ी, “उफ्फ… धीरे, मेरी चूचियाँ दुख रही हैं!” उसकी जीभ मेरे निप्पल पर नाचने लगी, और उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मेरी चूत से रस टपकने लगा, और मैं तड़प रही थी।
उसने मुझे किचन स्लैब पर बिठा दिया और मेरी पैंटी खींचकर फेंक दी। मेरी चिकनी, गीली चूत उसके सामने थी। वो बोला, “रिया, तेरी चूत तो शहद की तरह है!” उसने मेरी चूत पर अपनी जीभ रखी, और मैं चीख पड़ी, “आह्ह… चाटो, मेरी चूत प्यासी है!” उसकी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में उतर गई, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से चाट, जेठ जी!” मेरा रस उसके मुँह में बह रहा था, और मेरी सिसकियाँ किचन में गूँज रही थीं। मैंने उसका सिर पकड़ा और अपनी चूत पर दबा दिया। मैं चीख रही थी, “आह्ह… चूस डाल इसे!”
उसने अपनी शॉर्ट्स उतारी, और उसका मोटा, काला लंड मेरे सामने था। वो इतना बड़ा था कि मेरी आँखें फटी रह गईं। मैंने उसे सहलाया, और वो सिसक उठा, “रिया, तू तो रंडी है!” मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। उसका मोटा टोपा मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उसकी गर्मी को महसूस कर रही थी। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… तेरा लंड रसीला है!” उसने मेरे बाल पकड़े और मेरा मुँह चोदने लगा। मैं चीख रही थी, “आह्ह… और ज़ोर से!”
उसने मुझे स्लैब से उतारा और घोड़ी बनाया। मेरी मोटी गांड उसके सामने थी, और उसने उस पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… और मार!” उसने मेरी गांड पर और थप्पड़ मारे, और मेरी गांड लाल हो गई। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… मेरी गांड जल रही है!” उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी चूत में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… जेठ जी, मेरी चूत फट गई!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगा, और मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से चोद, मेरी चूत को फाड़ दे!”
उसकी ठापों से स्लैब हिल रहा था, और मेरी चूत से रस की धार बह रही थी। वो मेरी चूचियाँ मसल रहा था, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मेरी चूचियाँ नोच डाल!” उसने मेरे निप्पल काटे, और मैं तड़प रही थी, “उफ्फ… और काट!” फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं उसके कंधों पर थी, और मेरी चूचियाँ उसके मुँह में थीं। वो मेरे निप्पल चूस रहा था, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… और चूस!” उसकी ठापें इतनी तेज थीं कि मेरा जिस्म काँप रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… तेरा लंड मेरी चूत को जन्नत दिखा रहा है!”
उसने मुझे ज़मीन पर लिटाया और मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश की। मैं डर गई और बोली, “जेठ जी, मेरी गांड मत मार!” वो हँसा और बोला, “रिया, आज तेरी गांड भी चोद दूँगा।” उसने मेरी गांड पर तेल डाला और धीरे-धीरे अपना लंड डाला। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… मेरी गांड फट गई!” वो धीरे-धीरे ठाप मारने लगा, और दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल गया। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से, मेरी गांड को रगड़ डाल!” उसकी ठापों से मेरी गांड जल रही थी, और मेरी चूत से रस टपक रहा था।
फिर उसने मुझे फिर से लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं चीख रही थी, “जेठ जी, मेरी चूत को फाड़ डाल!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहा था, और मेरी सिसकियाँ किचन में गूँज रही थीं। मैंने कहा, “जेठ जी, मेरे मुँह में डाल!” उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… तेरा लंड रस से भरा है!” उसकी गर्मी मेरे मुँह में फैल रही थी, और मैं पागल हो रही थी।
वो फिर से मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं चीख रही थी, “जेठ जी, मेरी चूत को रगड़ डाल!” वो सिसक रहा था, “रिया, तेरी चूत मेरे लंड की रानी है!” उसने तेज-तेज ठाप मारी, और मैं काँप रही थी। मैं चीख रही थी, “आह्ह… और ज़ोर से!” उसकी ठापों से मेरा जिस्म थरथरा रहा था, और मेरी चूत रस से लबालब थी। उसने कहा, “रिया, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख पड़ी, “जेठ जी, मेरी चूत में झड़ जा!” उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका गर्म माल मेरी चूत में फव्वारे की तरह छूट गया।
मैं काँपते हुए ज़मीन पर पड़ी थी, और मेरा जिस्म पसीने और रस से तर-बतर था। संजय हाँफ रहा था, और उसका माल मेरी चूत से बह रहा था। उसने मेरे माथे पर चूमा और बोला, “रिया, तू मस्त माल है।” मैं हँसते हुए बोली, “जेठ जी, तेरा लंड जादुई है।” उस रात हमने फिर दो बार चुदाई की—एक बार मेरी गांड में, और एक बार मेरे मुँह में। सुबह तक मेरा जिस्म थक चुका था, लेकिन मेरी चूत संजय के लंड की दीवानी हो गई थी।
पति के आने के बाद भी संजय और मेरी चुदाई का सिलसिला चला। जब भी मौका मिलता, वो मेरी चूत और गांड को चोदता। किचन में हुई वो चुदाई मेरे लिए एक नई हवस की शुरुआत थी। मैं अब भी संजय के लंड को याद करती हूँ, और मेरी चूत उसकी ठापों के लिए तरसती है।