Bhabhi Devar Sex Story – मैं, अजय, 25 साल का जवान लड़का, कानपुर की एक पुरानी हवेली में अपने बड़े भाई और उनकी हॉट बीवी, रानी भाभी, के साथ रहता था। मेरा मस्कुलर जिस्म और 8 इंच का मोटा लंड मोहल्ले की लड़कियों को दीवाना बना देता था, लेकिन मेरी नजरें हमेशा रानी भाभी पर टिकी रहती थीं। रानी भाभी, 32 साल की, एक ऐसी औरत थीं, जिनका जिस्म किसी को भी पागल कर दे। उनकी टाइट साड़ी में उभरे रसीले बूब्स, पतली कमर और गोल नितंब मेरे लंड में हर बार आग लगा देते थे। उनकी भूरी आँखें और गुलाबी होंठ जैसे चूमने की खुली दावत दे रहे हों।
मेरे भाई एक सरकारी नौकरी में थे और अक्सर सुबह जल्दी दफ्तर चले जाते थे, जिससे घर में मैं और भाभी अकेले रह जाते थे। मैंने कई बार नोटिस किया कि जब भाभी सुबह रसोई में चाय बनातीं, तो उनकी साड़ी का पल्लू सरक जाता और उनके बूब्स का क्लीवेज दिखता। उनकी वो शरारती मुस्कान और मेरे जिस्म को घूरने वाली नजरें मेरे मन में वासना जगा देती थीं। मुझे यकीन था कि भाभी की टाइट चूत मेरे मोटे लंड की भूखी थी, और मैं बस सही मौके की तलाश में था।
वो एक अक्टूबर की ठंडी सुबह थी। कानपुर में हल्की धुंध छाई थी, और हवेली में सुबह की शांति थी। भाई सुबह 6 बजे दफ्तर के लिए निकल गए थे, और मैं अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा था, जब भाभी ने मुझे आवाज दी, “अजय, चाय पी ले, सुबह की ताजगी मिलेगी।” उनकी आवाज में एक शरारत थी। मैंने एक शॉर्ट्स और बनियान पहनी और रसोई में चला गया। भाभी ने एक पतली सी साड़ी पहनी थी, जो उनके जिस्म से चिपक रही थी। उनके बूब्स साड़ी में साफ उभर रहे थे, और उनकी टाइट चूत की शेप उनकी पैंटी में दिख रही थी।
“भाभी, सुबह की ताजगी तो तुम्हारे जिस्म से आ रही है,” मैंने शरारत भरे लहजे में कहा। भाभी ने हँसते हुए जवाब दिया, “अजय, तेरा लंड मेरी चूत को ताजगी देने के लिए बेताब लग रहा है।” उनकी बात सुनकर मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स में तन गया। मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “भाभी, अगर तुम्हारी चूत को ताजगी चाहिए, तो मेरा लंड तैयार है।”
भाभी ने रसोई का गैस बंद किया और मेरे पास आकर खड़ी हो गईं। उनकी साँसें तेज थीं, और उनकी आँखों में वासना की चमक थी। मैंने उन्हें अपनी बाहों में खींच लिया और उनके रसीले होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। वो चुंबन इतना गहरा और गर्म था कि मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई। मैंने भाभी की साड़ी का पल्लू नीचे खींचा, और उनके बूब्स उनके ब्लाउज में कैद थे, जैसे बाहर निकलने को बेताब हों। मैंने उनका ब्लाउज उतार दिया, और उनकी काली लेस ब्रा में उनके रसीले बूब्स मेरे सामने थे।
“अजय, मेरे बूब्स को चूस,” भाभी ने सिसकारी भरे लहजे में कहा। मैंने उनकी ब्रा उतार दी और उनके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और काटते हुए। भाभी की सिसकारियाँ रसोई में गूँज उठीं। “हाँ, अजय… और जोर से… मेरे बूब्स को दबा,” उन्होंने चीखते हुए कहा। मैंने उनके बूब्स को अपने हाथों में लिया और जोर-जोर से दबाने लगा, जैसे मेरी सारी वासना उनके जिस्म में उतर रही हो।
मैंने भाभी की साड़ी और पैंटी उतार दी, और उनकी टाइट चूत मेरे सामने थी, गीली और गुलाबी, जैसे कोई नशीला फूल। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर फिराई, और भाभी की चीखें रसोई में गूँज उठीं। “अजय, मेरी चूत को चाट… और गहरा,” उन्होंने चिल्लाया, और अपनी टाँगें मेरे कंधों पर रख दीं। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत की गहराइयों में डाली, और उनका रस मेरे मुँह में बहने लगा। मैंने उनके क्लिट को चूसा, और भाभी की कमर उछलने लगी।
भाभी ने मेरे शॉर्ट्स खोल दिए, और मेरा 8 इंच का मोटा लंड उनके सामने तनकर खड़ा था। “ये लंड तो मेरी चूत को फाड़ देगा, अजय,” उन्होंने शरारत से कहा, और मेरे लंड को अपने मुँह में लिया। उनकी जीभ मेरे लंड पर लपलपाती रही, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “भाभी, तेरा मुँह मेरे लंड को पागल कर रहा है,” मैंने सिसकते हुए कहा, और उनके बालों को कसकर पकड़ लिया। उन्होंने मेरे लंड को गहराई तक चूसा, और मैंने महसूस किया कि मेरा रस उनके मुँह में जाने वाला है।
मैंने भाभी को रसोई के स्लैब पर बिठाया और उनकी टाँगें फैलाकर अपने मोटे लंड को उनकी टाइट चूत में डाला। भाभी चीख पड़ीं, “अजय, तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “और जोर से, अजय… मेरी चूत को फाड़ दे,” उन्होंने चीखते हुए कहा। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ उनके बूब्स उछल रहे थे। मैंने उनके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और काटते हुए, और भाभी की चीखें और तेज हो गईं।
मैंने भाभी को रसोई से उठाया और बेडरूम में ले गया। हवेली का बेडरूम मंद रोशनी और मखमली चादरों से सजा था, और सुबह की ठंडी हवा माहौल को और कामुक बना रही थी। मैंने भाभी को बेड पर लिटाया और उनकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। मैंने फिर से अपने लंड को उनकी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “अजय, मेरी चूत को और चोद… तू मेरे जिस्म में ताजगी भर रहा है,” भाभी चिल्ला रही थीं। मैंने उनके नितंबों को थपथपाया, और उनकी चीखें और तेज हो गईं।
मैंने उन्हें पलट दिया और डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। मेरा मोटा लंड उनकी टाइट चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि हमारे जिस्म एक-दूसरे में घुल गए। “हाँ, अजय… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दे,” भाभी चिल्ला रही थीं। मैंने उनके बाल पकड़े और उन्हें और जोर से चोदा, जैसे मेरी सारी वासना उनकी चूत में उतर रही हो। मैंने उनके नितंबों पर हल्के-हल्के थप्पड़ मारे, और उनकी सिसकारियाँ हवेली की दीवारों से टकराकर गूँज रही थीं।
पूरी सुबह, हमने एक-दूसरे के जिस्म को चखा। मैंने भाभी को बेड के हर कोने में चोदा—कभी उनकी चूत को, कभी उनके बूब्स को चूसते हुए, और कभी उनके नितंबों को सहलाते हुए। भाभी ने मेरे मोटे लंड को बार-बार अपने मुँह में लिया, और उनकी जीभ ने मुझे पागल कर दिया। “अजय, तेरा लंड मेरी चूत का राजा है,” उन्होंने सिसकारी भरे लहजे में कहा, और मुझे और जोर से चोदने के लिए उकसाया।
सुबह के 8 बजे, जब सूरज की किरणें खिड़की से छनकर आईं, भाभी ने मेरे लंड को फिर से अपने हाथ में लिया। “ये अभी भी तना हुआ है,” उन्होंने शरारत से कहा, और उसे फिर से चूसने लगीं। मैंने उन्हें अपनी गोद में बिठाया और फिर से चोदना शुरू किया। इस बार, भाभी ऊपर थीं, और उनकी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। “तेरी टाइट चूत मेरे लंड को निचोड़ रही है, भाभी,” मैंने कहा, और उन्होंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। उनके बूब्स मेरे चेहरे के सामने उछल रहे थे, और मैंने उन्हें चूसते हुए भाभी को और जोर से चोदा।
जब सुबह की धूप हवेली में फैल गई, हम दोनों नंगे, पसीने से लथपथ, एक-दूसरे की बाहों में लिपटे थे। भाभी ने मेरे सीने पर सिर रखा और फुसफुसाया, “अजय, तेरी सुबह की चुदाई ने मेरे जिस्म में ताजगी भर दी।” मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “भाभी, तेरी टाइट चूत ने मेरे लंड को अपना दीवाना बना लिया।”
भाभी ने मेरे होंठों पर एक गहरा चुंबन लिया, अपनी साड़ी पहनी, और एक मादक मुस्कान के साथ बोलीं, “अजय, जब भी भैया सुबह दफ्तर जाएँगे, मेरी चूत तेरे लंड की ताजगी का इंतज़ार करेगी।” मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “तो मेरा मोटा लंड हर सुबह हाजिर रहेगा, भाभी।”
जैसे ही भाभी बेडरूम से बाहर निकलीं, उन्होंने पलटकर देखा और एक शरारती पलक झपकी। “ये सुबह हमारी थी, अजय। लेकिन ये खेल कभी खत्म नहीं होगा।” मैं जानता था, रानी भाभी की टाइट चूत की आग मेरे मोटे लंड में हर सुबह सुलगती रहेगी, और हमारी ये चुदाई हवेली की दीवारों में हमेशा गूँजती रहेगी।