मेरा नाम राहुल है, और मैं उन दिनों कॉलेज का छात्र था, उम्र होगी कोई बीस साल। घर में मम्मी-पापा के अलावा मेरी बड़ी बहन थी—सोनिया दीदी। दीदी मुझसे पांच साल बड़ी थीं, और उनकी शादी को दो साल हो चुके थे। उनका फिगर ऐसा था कि कोई भी मर्द उन्हें देखकर पागल हो जाए—गोरी चमड़ी, लंबे काले बाल, भरे हुए स्तन, और वो पतली कमर जो उनकी साड़ी में और भी निखरती थी। दीदी जब चलती थीं, तो उनकी गांड का मटकना किसी को भी बेकाबू कर देता था। मैं उन्हें देखकर कई बार सोचता था, पर कभी हिम्मत नहीं हुई कि कुछ कहूं—आखिर वो मेरी दीदी थीं।
एक दिन की बात है, मम्मी-पापा गांव गए थे किसी रिश्तेदार की शादी में, और घर में सिर्फ मैं और दीदी थे। दीदी उस दिन अपने मायके आई थीं, क्योंकि जीजाजी किसी काम से बाहर गए थे। दोपहर का वक्त था, गर्मी इतनी थी कि पंखे की हवा भी राहत नहीं दे रही थी। मैं अपने कमरे में लेटा था, जब दीदी अंदर आईं। उनके हाथ में पानी का गिलास था। वो मेरे पास बैठीं और बोलीं, “राहुल, पानी पी ले, तू पसीने से तर हो रहा है।” उनकी आवाज में एक अजीब-सी मिठास थी। मैंने गिलास लिया, पर मेरी नजर उनके चेहरे से हटकर उनके स्तनों पर चली गई। उनकी ब्लाउज थोड़ी ढीली थी, और मुझे उनके गोरे स्तन की झलक दिखी। मेरा लिंग तुरंत तन गया, और मैं घबरा गया।
दीदी ने मेरी नजर पकड़ ली। वो हंसीं और बोलीं, “क्या देख रहा है, राहुल?” मैं हड़बड़ाया और कहा, “कुछ नहीं, दीदी।” पर वो मेरे पास और करीब आईं, और उनके होंठों पर एक शरारती मुस्कान थी। “बता ना, मैं तेरी दीदी हूं, मुझसे क्या छुपाना?” उनकी सांसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं, और मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने हिम्मत करके कहा, “दीदी, आप बहुत सुंदर हो।” वो हंसीं और बोलीं, “बस इतना ही? और कुछ नहीं देखा?” मैं चुप रहा, पर मेरा लिंग अब पूरी तरह तन चुका था।
उन्होंने मेरी जांघ पर हल्के से हात रखा और बोलीं, “राहुल, तू अब बड़ा हो गया है। कुछ सीखना नहीं चाहता?” मैं समझ नहीं पाया, पर मेरे मुंह से निकला, “क्या, दीदी?” वो मेरे और करीब आईं, और मेरे कान में फुसफुसाईं, “चुदाई करना सीखना चाहता है?” मेरे होश उड़ गए। मैंने कहा, “दीदी, ये क्या बोल रही हो?” पर वो हंसीं और बोलीं, “शरमा मत, मैं सिखाऊंगी।” फिर उन्होंने मेरे होंठों पर एक गहरा चुंबन दे दिया। उनके होंठ इतने नरम थे कि मैं खुद को रोक न सका। मैंने भी उन्हें चुंबन देना शुरू किया, और हम दोनों एक-दूसरे में खो गए।
दीदी ने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया, और उनके भरे हुए स्तन मेरे सामने थे। मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले, और उनके गोरे, गोल स्तन बाहर आ गए। मैंने उन्हें हाथ में लिया, वो इतने नरम थे कि मेरे अंदर आग लग गई। दीदी “आह्ह” कर उठीं जब मैंने उनके निप्पल्स को चूसा। वो बोलीं, “राहुल, ऐसे ही, और जोर से।” मैंने उनके स्तनों को चाटा, चूसा, और वो सिसकारियां भरने लगीं। फिर उन्होंने मेरी शर्ट उतारी और मेरे सीने पर हाथ फेरा। उनका हाथ नीचे गया, और उन्होंने मेरे लिंग को पकड़ लिया। “वाह, राहुल, तेरा लिंग तो कड़ा हो गया है,” वो बोलीं और उसे सहलाने लगीं। मैं सिहर उठा।
फिर दीदी ने अपनी साड़ी पूरी तरह उतार दी। उनकी नंगी योनी मेरे सामने थी—गुलाबी, चिकनी, और थोड़ी गीली। वो बोलीं, “देख, राहुल, ये योनी है, इसे चुदाई की भूख है।” मैंने हल्के से उस पर हाथ फेरा, और वो “उह्ह” कर उठीं। फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गईं, और बोलीं, “अब मैं तुझे सिखाती हूं।” उन्होंने मेरा लिंग पकड़ा और अपनी योनी पर रखा। धीरे से वो नीचे बैठीं, और मेरा लिंग उनकी योनी में घुस गया। “आह्ह्ह,” दीदी चीखीं, और मैं भी सिहर उठा। उनकी योनी इतनी गरम थी कि मुझे लगा मैं पिघल जाऊंगा।
दीदी ने धक्के मारना शुरू किया। उनके स्तन मेरे सामने उछल रहे थे, और उनकी गांड मेरी जांघों से टकरा रही थी। मैंने उनकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से चुदाई शुरू कर दी। वो चिल्लाईं, “राहुल, हां, ऐसे ही, मुझे चोद!” उनकी सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं— “आह्ह, उह्ह, और जोर से!” मैंने उनकी गांड पर हाथ मारा, और वो और उत्तेजित हो गईं। हम दोनों पसीने से तर हो गए थे, पर रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। दीदी की योनी मेरे लिंग को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ मुझे स्वर्ग का अहसास हो रहा था।
कुछ देर बाद दीदी बोलीं, “राहुल, अब मैं पीछे से लेना चाहती हूं।” वो घूमीं, और उनकी गोल गांड मेरे सामने थी। मैंने अपना लिंग उनकी गांड के पास ले जाकर धीरे से दबाया। “आह्ह, राहुल, हल्के से,” वो बोलीं, पर मैं रुक नहीं सका। मैंने जोर लगाया, और मेरा लिंग उनकी गांड में घुस गया। वो चीखीं, “उह्ह, बहुत मजा आ रहा है!” मैंने उनकी गांड में चुदाई शुरू की, और उनके स्तन मेरे हाथों में थे। वो बार-बार मेरे नाम की रट लगाए जा रही थीं— “राहुल, चोद मुझे, और जोर से!”
आधे घंटे तक हम दोनों एक-दूसरे में खोए रहे। फिर दीदी बोलीं, “राहुल, अपना पानी मेरे अंदर डाल दे।” मैंने तेज-तेज धक्के मारे, और आखिरकार उनके अंदर सारा पानी छोड़ दिया। वो मेरे ऊपर गिर पड़ीं, उनके स्तन मेरे सीने से चिपक गए, और हम दोनों हांफ रहे थे। दीदी ने मेरे कान में कहा, “राहुल, तूने मुझे जन्नत दिखा दी।” मैंने उन्हें चुंबन दिया और कहा, “दीदी, आपने मुझे चोदना सिखा दिया।”
रात बीत गई। अगले दिन मम्मी-पापा आ गए। दीदी मुझे देखकर मुस्कुराईं और बोलीं, “राहुल, ये हमारा राज रहेगा।” मैंने हां में सिर हिलाया, पर मेरा मन अभी भी उनकी योनी, उनकी गांड, और उनके स्तनों में उलझा था। उस दिन के बाद दीदी मेरे लिए सिर्फ बहन नहीं रहीं—वो मेरी पहली गुरु बन गई थीं, जिसने मुझे चुदाई का सबक सिखाया।