ससुर जी ने मेरी बूर फाड़ दी

मेरा नाम नेहा है। अब मैं 28 की हूँ, शादी को चार साल हो गए। एक बेटा भी है, दो साल का। लेकिन वो बात… वो पहली बार जब ससुर जी ने मेरी बूर फाड़ दी… आज भी याद करके बदन में सिहरन दौड़ जाती है। मुझे आज भी याद है उनकी वो मोटी उँगलियाँ मेरी चूत में घुसते हुए, उनका वो मोटा लंड जो मुझे दर्द और मजा दोनों दे रहा था। मैं कभी सोचा नहीं था कि ऐसा होगा। घर में सब नॉर्मल था, लेकिन अंदर से सब बदल गया। मैं किसी को नहीं बता सकती – न पति को, न किसी सहेली को। बस मन में दबाकर रखती हूँ। आज पहली बार लिख रही हूँ, जैसे कोई गंदा राज़ बाहर निकल रहा हो।

हमारा घर संयुक्त है। सास-ससुर, मैं और मेरा पति राजेश। राजेश मार्केटिंग जॉब करता है, महीने में 15-20 दिन टूर पर रहता है। घर पर मैं, सास और ससुर जी। सास जी की तबीयत ठीक नहीं रहती, ज्यादातर कमरे में रहतीं। ससुर जी रिटायर्ड हैं, 58 साल के, लेकिन बॉडी अभी भी मजबूत। चौड़े कंधे, छाती पर बाल, और नीचे… वो तो बाद में पता चला। वो हमेशा मेरी मदद करते – घर का काम, बच्चे को संभालना। मैं उन्हें पापा जी कहती थी। लेकिन पिछले दो सालों से उनकी नजरें कुछ अजीब लगने लगी थीं। जब मैं झुककर झाड़ू लगाती, तो मेरी गांड पर नजर टिक जाती। या साड़ी का पल्लू सरक जाए तो चूचियों पर। मैं नोटिस करती, लेकिन कुछ कहती नहीं। मन में कहीं अजीब सा लगता।

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वो बात पिछले साल की है। गर्मियाँ थीं, जून का महीना। राजेश बाहर गया था 10 दिन के लिए। सास जी अस्पताल में एडमिट थीं, कोई पुरानी बीमारी। घर पर सिर्फ मैं और ससुर जी। बच्चा सो रहा था दिन में। मैं किचन में खाना बना रही थी, पसीने से साड़ी चिपक गई थी। ससुर जी आए, बोले, “नेहा, पानी पी लूँ?” मैंने ग्लास दिया। उनकी नजर मेरे ब्लाउज पर थी – पसीने से गीला, निप्पल्स दिख रहे होंगे। मैं शर्मा गई। वो बोले, “तुम बहुत मेहनत करती हो बेटी। राजेश लकी है।” मैंने मुस्कुराकर टाल दिया। लेकिन उस दिन से कुछ बदल गया।

रात को बच्चा सो गया। मैं अपने कमरे में थी। गर्मी थी, पंखा चल रहा था। मैं नाइट गाउन पहनकर लेटी थी। अचानक दरवाजा खटका। ससुर जी आए, बोले, “नेहा, नींद नहीं आ रही। बातें करें?” मैं चौंकी, लेकिन उठकर बैठ गई। वो बेड पर बैठ गए, पास ही। बातें शुरू हुईं – राजेश की, घर की। फिर वो बोले, “नेहा, तुम बहुत खूबसूरत हो। राजेश दूर रहता है, तुम्हारी जरूरतें?” मैं शर्मा गई, बोली, “पापा जी, क्या कह रहे हैं?” वो हँसे, हाथ मेरे कंधे पर रखा। “बेटी, मैं बुड्ढा नहीं हूँ। देखता हूँ सब।”

उस पल मेरा दिल तेज धड़क रहा था। मैं रोक सकती थी, लेकिन नहीं रोकी। उनका हाथ मेरी जाँघ पर सरका। गाउन ऊपर। मैंने पैर सिकोड़े, लेकिन वो बोले, “डर मत नेहा। मैं जानता हूँ तुम भी अकेली हो।” मैं चुप रही। वो करीब आए, होंठ मेरे होंठों पर रखे। मैंने जवाब दिया। किस लंबा था, उनकी दाढ़ी मेरे गाल पर खरखर कर रही थी। हाथ मेरी चूचियों पर गए। गाउन ऊपर किया, ब्रा नहीं पहनी थी। चूचियाँ दबाने लगे। निप्पल्स चुटकी में लिए। मुझे दर्द हुआ, लेकिन मजा भी। मैं सिसकारी, “पापा जी… नहीं…” लेकिन हाथ नहीं हटाया।

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वो बोले, “नेहा, कितनी भरी हुई हो। राजेश को मजा आता होगा।” मैं शर्मा गई। वो मुझे लिटाया, गाउन उतार दिया। मैं नंगी हो गई। उनकी नजर मेरी चूत पर – हल्के बाल, गुलाबी। वो बोले, “वाह बेटी, कितनी टाइट लग रही है।” उँगलियाँ घुमाने लगे। मैं गीली हो गई थी। दो उँगलियाँ अंदर डालीं। मैं तड़प उठी, “आह… पापा जी…” वो हँसे, “गीली हो गई। भूखी है तू।” फिर अपना कुर्ता-पजामा उतारा। उनका लंड बाहर आया – मोटा, लंबा, सख्त। मेरे पति से बड़ा। मैं डर गई, बोली, “पापा जी, नहीं होगा।”

वो बोले, “होगा बेटी। आज तेरी बूर फाड़ दूँगा।” वो मेरे ऊपर आए। लंड को चूत पर रगड़ा। मैंने पैर फैला दिए। धीरे से डाला। पहले सिरा, फिर आधा। दर्द हुआ बहुत, जैसे फट रही हूँ। मैं चीखी, “आह… पापा जी… धीरे…” वो रुके, फिर जोर से एक धक्का। पूरा अंदर। मेरी बूर फट गई लग रही थी। आँसू आ गए। लेकिन वो धीरे-धीरे मूव करने लगे। दर्द कम हुआ, मजा आने लगा। मैं कमर उठाने लगी। वो बोले, “ले बेटी, ले मेरा लंड।” तेज़ होते गए। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, वो दबाते, चूसते। मैं कराह रही थी, “पापा जी… जोर से… फाड़ दो…”

वो मुझे घुमाया, कुत्ते स्टाइल में। पीछे से डाला। गांड पर थप्पड़ मारे। जोर-जोर से चोदा। मेरी चूत से आवाजें आ रही थीं – चपचप। मैं झड़ गई पहली बार, पूरा बदन काँपा। वो नहीं रुके। आखिर में बोले, “अंदर डालूँ?” मैंने हाँ कहा। गर्म वीर्य अंदर फैल गया। वो गिर पड़े मेरे ऊपर। हम पसीने से तर। वो बोले, “नेहा, मजा आया?” मैंने उन्हें किस किया।

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उसके बाद कई बार हुआ। राजेश बाहर होता तो रात को वो मेरे कमरे में आते। कभी किचन में, बच्चा सो रहा हो तो। एक बार सास जी अस्पताल में थीं, तो पूरे दिन चुदाई की। सुबह शावर में, फिर बेड पर। ससुर जी ने मेरी गांड भी मारी एक बार – धीरे-धीरे, लेकिन दर्द बहुत। लेकिन मजा भी। वो कहते, “नेहा, तू मेरी रंडी है अब।” मैं मान जाती।

अब भी होता है कभी-कभी। राजेश को शक नहीं। गिल्ट होता है, लेकिन वो मजा… ससुर जी ने मेरी बूर सच में फाड़ दी थी उस दिन। अब वो ढीली हो गई है उनके लंड से। लेकिन खुश हूँ। ये राज़ हमारा है। आज लिखकर हल्का लगा।