आप यह कहानी Meri Sex Story Dot Com पर पढ़ रहे हैं, जहाँ हर कामुक सीन आपकी हवस को चरम पर ले जाता है। मैं, राधिका, 28 साल की, लखनऊ की एक हाउसवाइफ, अपने पति, अखिल, 34 साल के, और उनके छोटे भाई, मयंक, 26 साल के, के साथ एक बड़े पारंपरिक घर में रहती थी। मैं गोरी, लंबे घने बालों वाली, और ऐसी फिगर (36-30-38) वाली थी कि मेरी साड़ी में उभरती चूचियाँ और मटकती गांड पड़ोसियों की नज़रों का शिकार थी। अखिल एक बिजनेसमैन थे, जो अक्सर टूर पर रहते, और मेरी चूत की प्यास अधूरी रह जाती। लेकिन मयंक, गठीले जिस्म, शरारती मुस्कान, और मोटे लंड वाला मर्द, मेरी हवस का जवाब बन गया। उसकी चुदाई ने मेरी चूत और गांड को तृप्त किया, और मुझे देवर से चुदवाने की दीवानगी हो गई।
उस रात लखनऊ में ठंडी हवा चल रही थी, और घर में सन्नाटा था। अखिल दिल्ली गए थे, और मैंने एक पतली सिल्क की साड़ी पहनी थी, जिसका पल्लू मेरी चूचियों से बार-बार सरक रहा था। मयंक लिविंग रूम में टीवी देख रहा था, सिर्फ बनियान और पायजामा में, उसका मज़बूत जिस्म मुझे बेकरार कर रहा था। मैंने चाय का बहाना बनाया और उसके पास बैठ गई। मेरी साड़ी का गहरा गला मेरी चूचियों की झलक दिखा रहा था। “भाभी, तुम आज कुछ ज़्यादा हॉट लग रही हो,” मयंक ने शरारत से कहा। मैंने होंठ चाटे और जवाब दिया, “मयंक, मेरी चूत की गर्मी बुझाने वाला चाहिए।” मेरी बोल्ड बात सुनकर उसकी आँखें चमक उठीं, और उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया।
मयंक ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और मेरे होंठों को चूम लिया। उसका चुंबन इतना गहरा था कि मेरी साँसें रुक गईं। उसकी जीभ मेरे होंठों से खेल रही थी, और मैंने उसकी बनियान पकड़कर उसे और करीब खींच लिया। “भाभी, तेरे होंठ तो शहद हैं,” मयंक ने फुसफुसाया। मैंने सिसकते हुए जवाब दिया, “तो मेरी चूत का स्वाद भी ले ले।” मेरी बात ने उसके लंड को तुरंत सख्त कर दिया। उसने मेरी साड़ी का पल्लू खींचकर फेंक दिया, और मेरा ब्लाउज़ मेरी चूचियों को मुश्किल से समेटे था। उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोले, और मेरी काली ब्रा में कैद चूचियाँ सामने आईं।
मयंक ने ब्रा का हुक खोला, और मेरे भरे हुए बूब्स आज़ाद हो गए। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं, निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा। “भाभी, तेरी चूचियाँ कितनी रसीली हैं,” उसने कराहते हुए कहा। मेरी सिसकियाँ लिविंग रूम में गूंजने लगीं। मैंने अपनी जांघें चौड़ी कीं, और मयंक ने मेरी साड़ी ऊपर उठाकर मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाया। मेरी चूत पहले ही गीली थी, और उसकी उंगलियों ने मेरी हवस को और भड़का दिया। “मयंक, मेरी चूत को चोद दे,” मैंने सिसकते हुए कहा। उसने मेरी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया, और मेरी काली पैंटी मेरी गीली चूत से चिपक चुकी थी।
मयंक ने मेरी पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, धीरे-धीरे रगड़ते हुए। “भाभी, तेरी चूत तो मेरे लंड के लिए तड़प रही है,” उसने कहा। मैंने कराहते हुए जवाब दिया, “मयंक, अपने लंड से मेरी चूत चोद दे।” उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी जांघें चौड़ी कीं। उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका मोटा लंड मेरे सामने था, कम से कम 8 इंच का, सख्त और गर्म। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा, और मैं सिसकियाँ लेने लगी। फिर उसने धीरे से लंड अंदर डाला, और मेरी एक ज़ोरदार चीख निकली। उसका लंड मेरी चूत को पूरा भर रहा था।
“मयंक, धीरे, मेरी चूत फट जाएगी,” मैंने सिसकते हुए कहा। उसने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल रहा था, और मेरी सिसकियाँ अब कामुक कराह में तब्दील हो गई थीं। मयंक ने रफ्तार बढ़ा दी, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई को छू रहा था। “भाभी, तेरी चूत चोदने का मज़ा ही अलग है,” उसने कराहते हुए कहा। मैंने जवाब दिया, “मयंक, मेरी चूत को और चोद, इसे तृप्त कर दे।” उसने मेरी चूचियाँ फिर से चूसीं, और मेरी चूत और गीली हो गई।
तभी मयंक का दोस्त, रोहित, 27 साल का, गठीला और शरारती, घर में आ गया। उसने हमें देखा और हँसते हुए बोला, “भाभी, मयंक तो मज़ा ले रहा है, मुझे भी शामिल करो।” मैं पहले झिझकी, लेकिन मेरी चूत की भूख ने मुझे बोल्ड बना दिया। “आ जा, रोहित, मेरी गांड और मुँह बाकी हैं,” मैंने सेक्सी अंदाज़ में कहा। मयंक ने रोहित को पास बुलाया, और दोनों ने मुझे अपनी वासना का शिकार बनाया। रोहित ने मेरी गांड को सहलाया और उसे थप्पड़ मारा। “भाभी, तेरी गांड कितनी रसभरी है,” उसने कहा, और अपनी उंगली मेरी गांड में डाली। मेरी सिसकियाँ और तेज़ हो गईं।
“रोहित, मेरी गांड भी चोद,” मैंने कराहते हुए कहा। मयंक मेरी चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चला रहा था, जबकि रोहित ने अपनी पैंट उतारी और अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ा। उसने धीरे से लंड अंदर डाला, और मेरी ज़ोरदार चीख निकली। “आह, धीरे,” मैंने सिसकते हुए कहा, लेकिन रोहित ने और ज़ोर से धक्का मारा। “भाभी, तेरी गांड मेरे लंड की गुलाम है,” उसने कहा, और मैंने जवाब दिया, “तो चोद दे, मेरी गांड को।” अब मेरे जिस्म में दो लंड थे—मयंक का लंड मेरी चूत को चोद रहा था, और रोहित का लंड मेरी गांड को। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैंने दोनों को कस के पकड़ लिया।
मयंक ने मेरे होंठों को चूमा, मेरी जीभ को चूसते हुए, और रोहित ने मेरी चूचियाँ दबाईं। मेरा जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था। मेरी सिसकियाँ लिविंग रूम में गूंज रही थीं, और बाहर ठंडी हवा माहौल को और कामुक बना रही थी। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” मैंने सिसकते हुए कहा। मयंक की चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरा जिस्म थरथरा रहा था, और रोहित का लंड मेरी गांड को गहरे तक चोद रहा था। मैंने कराहते हुए कहा, “मयंक, मेरी चूत में छोड़ दे, मुझे तेरा रस चाहिए।” मयंक ने और तेज़ी से धक्के मारे, और मेरी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी।
रोहित ने मेरी गांड में अपने रस छोड़े, और मेरी सिसकियाँ चीखों में बदल गईं। दोनों ने मुझे सोफे पर लिटाया, और मयंक ने मेरी चूचियाँ फिर से चूसीं। “भाभी, तेरी चूत ने मुझे दीवाना कर दिया,” उसने कहा। मैंने सिसकते हुए जवाब दिया, “मयंक, तूने मेरी चूत को तृप्त कर दिया, मुझे देवर से चुदवाना बहुत अच्छा लगता है।” हमारी चुदाई रातभर चली। मयंक और रोहित ने बारी-बारी से मेरी चूत और गांड को चोदा, और मेरी चूचियाँ उनके दाँतों और हाथों से लाल हो गईं। सुबह होने से पहले हमने कपड़े ठीक किए और चुपके से अपने कमरों में चले गए।
अगले दिन मयंक ने मुझे रसोई में पकड़ लिया, जहाँ मैं नाश्ता बना रही थी। उसने मेरी साड़ी ऊपर उठाई और मेरी चूत को सहलाया। “भाभी, तेरी चूत का स्वाद अभी भी मेरे दिमाग में है,” उसने फुसफुसाया। मैंने शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया, “मयंक, मेरी चूत तेरे लंड की दीवानी है।” उसने मुझे काउंटर पर झुकाया और मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। उसकी चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मेरी सिसकियाँ रसोई में गूंजने लगीं। “मयंक, और चोद, मेरी चूत को,” मैंने कराहते हुए कहा। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं और मेरी चूत में फिर से अपनी गर्मी छोड़ दी।
मयंक के साथ मेरी चुदाई का सिलसिला हर रात चलता रहा, जब अखिल घर पर नहीं होता था। उसका मोटा लंड मेरी चूत और गांड को हर बार तृप्त करता था। मेरे जिस्म पर चुदाई के निशान—मेरी चूचियों पर उसके दाँतों के निशान और मेरी गांड पर उसके थप्पड़ों के लाल निशान—हमारी हवस की कहानी बयान करते थे। एक दिन अखिल ने मुझे टूर से लौटकर गड़बड़ी की, और मेरी चूत फिर से मयंक के लंड के लिए तड़पने लगी। “मयंक, मुझे तेरे से चुदवाना बहुत अच्छा लगता है,” मैंने फुसफुसाया। उसने हँसकर कहा, “भाभी, तारी चूँट मेरे लंड की गुलाम है।”
हमारी चुदाई की रातें मुझे हर बार नई ऊँचाइयाँ देती थीं। मयंक की शरारती नज़रें और उसका मोटा लंड मेरी चूत को हमेशा बेकरार रखते थे। मैं जानती थी कि मेरी देवर के प्रति हवस ने मेरी ज़िंदगी को रंगीन बना दिया था।