मुझे पापा के दोस्त से चुदना अच्छा लगता है

मेरा नाम काव्या है, और मैं 22 साल की एक हॉट, चुदास भरी लड़की हूँ। मेरा गोरा, भरा हुआ बदन, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, गोल गांड, और पतली कमर किसी भी मर्द के लंड में आग लगा देता है। मेरे रसीले होंठ, गुलाबी निप्पल, और गीली चूत चुदाई का खुला न्योता देते हैं। मेरी मादक आँखें और मटकती चाल मर्दों को पागल कर देती है। मेरे पापा, विजय, 48 साल के हैं, और उनका दोस्त अमर, 45 साल का एक गठीला, रसूखदार मर्द है। अमर का 9 इंच का मोटा, काला लंड मेरी चूत में चुदास की सिहरन पैदा करता था। वह अक्सर हमारे घर आता, और उसकी भूखी नजरें मेरे चूचों और गांड पर टिक जाती थीं। मुझे उसकी चुदास भरी नजरों का मजा आता था, और मैं जानती थी कि उसका लंड मेरी चूत को चोदने के लिए तड़प रहा है। ये कहानी उस रात की है, जब मैंने अमर से अपनी चूत और गांड को चुदवाया, और उसकी चुदाई मेरी जिंदगी का सबसे मादक अनुभव बन गई।

पापा और अमर की दोस्ती सालों पुरानी थी। अमर अक्सर हमारे घर पर शराब पीने और गप्पें मारने आता था। मैं जानबूझकर टाइट टॉप और शॉर्ट स्कर्ट पहनती, ताकि मेरे चूचे और जाँघें उसे ललचाएँ। एक बार, जब मैं पानी का गिलास लेकर आई, मैंने जानबूझकर झुककर अपनी चूचियों की गहरी रेखा दिखाई। अमर की आँखें मेरे चूचों पर अटक गईं, और उसकी पैंट में उसके मोटे लंड का उभार साफ दिख रहा था। उसने मेरी ओर देखकर मादक मुस्कान दी और कहा, “काव्या, तू तो बड़ी हो गई है।” मैंने शरारत से जवाब दिया, “अमर अंकल, मेरी चूत भी बड़ी हो गई है।” मेरी बात सुनकर उसकी आँखें चुदास से चमक उठीं, और मैं समझ गई कि मेरी चूत की भूख जल्दी मिटने वाली है।

उस रात, पापा को एक जरूरी मीटिंग के लिए दिल्ली जाना था। मम्मी गाँव गई थीं, और मैं घर पर अकेली थी। मैंने मौके का फायदा उठाया और अमर को फोन किया। “अमर अंकल, पापा घर पर नहीं हैं। क्या आप आज रात हमारे घर आ सकते हैं? मुझे अकेले डर लग रहा है,” मैंने मासूम आवाज में कहा। अमर ने तुरंत हामी भरी, और मेरी चूत चुदाई के लिए तड़प उठी। मैंने एक टाइट, लाल ड्रेस पहनी, जो मेरी चूचियों और गांड को पूरी तरह उजागर कर रही थी। ड्रेस का गहरा गला मेरे चूचों की गहरी रेखा को दिखा रहा था, और मेरी नंगी जाँघें चमक रही थीं। मैंने जानबूझकर ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी, ताकि मेरे सख्त निप्पल और गीली चूत साफ दिखें। मेरी चूत में पहले से ही चुदास की आग सुलग रही थी।

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रात के 9 बजे, अमर हमारे घर आया। उसने एक टाइट शर्ट और जींस पहनी थी, और उसकी जींस में उसके 9 इंच के मोटे लंड का उभार मेरी चूत को बेकरार कर रहा था। मैंने उसे सोफे पर बिठाया और शराब के गिलास सर्व किए। मैंने जानबूझकर झुककर अपनी चूचियाँ दिखाईं, और अमर की साँसें तेज हो गईं। “काव्या, तू आज बहुत हॉट लग रही है,” उसने मादक आवाज में कहा, और मेरी कमर पकड़कर मुझे अपनी गोद में खींच लिया। मैंने उसके सीने पर हाथ रखा और बोली, “अमर अंकल, मेरी चूत आपके मोटे लंड की भूखी है। मुझे चोदकर मेरी चुदास मिटा दो।” मेरी बात ने उसके लंड को तना दिया, और उसने मेरे रसीले होंठों पर एक गहरा, अश्लील चुंबन छोड़ दिया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और उसका मोटा लंड मेरी जाँघों से टकरा रहा था।

मैंने उसकी शर्ट फाड़ दी, और उसका गठीला सीना मेरे सामने था। उसने मेरी ड्रेस को फाड़कर उतार दिया, और मेरी बड़ी, नंगी चूचियाँ उसके सामने उछल पड़ीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और मेरी चिकनी, गीली चूत और गोल गांड उसके सामने नंगी थी। मेरा चूत का रस मेरी जाँघों पर टपक रहा था। अमर ने मेरे एक चूचे को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को चबा रहा हो। उसकी जीभ मेरे निप्पल को चाट रही थी, और मेरी सिसकारी कमरे में गूँज रही थी। उसने मेरे दूसरे चूचे को अपनी उंगलियों से मसला, और मेरे गुलाबी निप्पल को खींचकर मेरी चीखें निकाल दीं। मैंने उसकी जींस उतार दी, और उसका 9 इंच का मोटा, काला लंड मेरे सामने तन गया। उसकी नसें फूली हुई थीं, और मेरी चूत ने उसे देखकर और रस छोड़ा।

“अमर अंकल, आपका लंड मेरी चूत को चोदने के लिए बना है,” मैंने मादहोश होकर कहा, और उसके लंड को अपने रसीले होंठों में लिया। मैं उसके लंड को गहराई तक चूस रही थी, और उसकी सिसकारियाँ निकल रही थीं। अमर ने मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह अपने लंड पर और जोर से दबाया, और मैं उसके लंड को चाट रही थी। उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी जाँघें चौड़ी कीं। उसने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी। मैं अपनी गांड को हिलाकर उसका मुँह अपनी चूत में और गहरा दबा रही थी। उसने मेरी गांड के छेद को अपनी उंगली से सहलाया, और मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मैं चुदास में चीख रही थी। “अमर… मेरी चूत को चोद… मुझे फाड़ दे,” मैंने सिसकारी के साथ कहा।

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अमर ने अपना मोटा, काला लंड मेरी गीली चूत में डाल दिया, और मैं चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, लेकिन दर्द जल्दी ही मादक सुख में बदल गया। वह जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और मेरे चूचे हर धक्के के साथ उछल रहे थे। मैं अपनी गांड को हिलाकर उसका लंड और गहरा ले रही थी, और मेरी सिसकारियाँ पूरे घर में गूँज रही थीं। अमर ने मेरे चूचियों को मसला, मेरे निप्पलों को चूसा, और मेरी चूत को अपने लंड से रगड़ने लगा। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “अमर… मेरी चूत को और जोर से चोद… इसे फाड़ दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा। अमर ने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गोल गांड को थप्पड़ मारते हुए अपना लंड मेरी चूत में फिर से डाल दिया। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मैं चुदास में चीख रही थी।

उसने मेरी गांड के छेद को अपनी उंगली से सहलाया, और फिर धीरे-धीरे अपना मोटा लंड मेरी गांड में डाल दिया। मैं दर्द और सुख में चीख पड़ी, लेकिन मेरी गांड ने जल्दी ही उसके लंड को गले लगा लिया। अमर मेरी गांड को जमकर चोद रहा था, और मेरे चूचे हवा में उछल रहे थे। “अमर… मेरी गांड को चोद… मेरी चूत को सुजा दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा। उसने मेरे चूचियों को मसला, मेरी गांड को थप्पड़ मारे, और मेरी चूत और गांड को बारी-बारी चोदा। मेरी चूत बार-बार झड़ रही थी, और मेरा रस उसकी जाँघों पर टपक रहा था। चुदाई का दौर घंटों चला। अमर ने मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदा। एक बार उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से उछाला। मेरे चूचे उसके चेहरे पर उछल रहे थे, और वह मेरे निप्पलों को चूस रहा था। फिर उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से धक्के मारे। मेरी चीखें और सिसकारियाँ पूरे घर में गूँज रही थीं।

“काव्या, मैं तेरी चूत में झड़ने वाला हूँ,” अमर ने गुर्राते हुए कहा। “हाँ, अमर… मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दे,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा। उसने अपने धक्के और तेज किए, और फिर अपने गर्म, गाढ़े वीर्य की पिचकारी मेरी चूत में मारी। मैं सुख से चीख पड़ी, और मेरी चूत उसके वीर्य से लबालब भर गई। उसने मेरे चूचियों, रसीले होंठों, और पूरे बदन पर अपना वीर्य छोड़ा, और मैंने उसे अपनी जीभ से चाट लिया। मेरा बदन उसके वीर्य से गीला और चिपचिपा हो गया था। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मेरी चूत और गांड चुदाई से सुज गई थी।

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उस रात के बाद, अमर मेरी चुदास का नियमित साथी बन गया। हर बार जब पापा घर पर नहीं होते, मैं अमर को बुलाती। एक बार मैंने उसे बाथरूम में बुलाया। उसने मुझे शावर के नीचे खड़ा किया और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से चोदा। पानी मेरे चूचों पर टपक रहा था, और मेरी चीखें बाथरूम में गूँज रही थीं। उसने मेरी गांड में भी अपना लंड डाला, और मेरी गांड उसके वीर्य से भर गई। दूसरी बार, मैंने उसे अपने बेडरूम में बुलाया। मैंने एक पारदर्शी नाइटी पहनी थी, और उसने मुझे बिस्तर पर लिटाकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। मैं चुदास में सिसकार रही थी, “अमर… मेरी चूत को चोद… इसे हर रात चोद!” उसने मेरे चूचियों को मसला, मेरी गांड को थप्पड़ मारे, और मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया।

पापा को कभी शक नहीं हुआ, क्योंकि अमर उनका पुराना दोस्त था। एक रात, जब अमर मेरी चूत को चोद रहा था, पापा ने अचानक फोन किया। मैंने फोन उठाया, और अमर ने मेरी चूत में अपना लंड और तेजी से डाला। मैं सिसकारियों को दबाते हुए पापा से बात कर रही थी, और मेरी चूत अमर के वीर्य से भर रही थी। “काव्या, तुम ठीक हो ना?” पापा ने पूछा। मैंने हाँफते हुए कहा, “हाँ, पापा… मैं बहुत खुश हूँ।” फोन रखते ही अमर ने मेरी गांड में अपना लंड डाला, और मेरी चीखें फिर से गूँज उठीं।

अमर की चुदाई ने मेरी चुदास को चरम सुख दिया। हर रात, जब वह मेरी चूत और गांड को चोदता, मेरी सिसकारियाँ घर में गूँजती थीं। मैंने सोचा कि पापा के दोस्त से चुदना मुझे इतना अच्छा क्यों लगता है। अमर का मोटा, काला लंड मेरी चूत की हर भूख मिटा देता था, और उसका हर धक्का मुझे चरम सुख की दुनिया में ले जाता था। मेरी चूत अब अमर के लंड की गुलाम बन चुकी थी, और मुझे उससे चुदना सबसे अच्छा लगता था।