ससुर जी ने देवरानी और जेठानी को एक साथ चोदा

शाम का समय था, गाँव का पुराना हवेलीनुमा घर शांत था। मैं, राधा, 25 साल की देवरानी, और मेरी जेठानी, सुनीता, 28 साल की, रसोई में खाना बना रही थीं। मेरा फिगर सेक्सी था—34C की चूचियाँ, पतली कमर, और भारी गांड जो मेरी साड़ी में उभरती थी। सुनीता की चूचियाँ 36D की थीं, और उसकी गांड मेरे से भी मोटी थी। हम दोनों की शादी को अभी कुछ ही साल हुए थे, लेकिन हमारे पति शहर में नौकरी करते थे, और हम यहाँ ससुर जी के साथ रहते थे। ससुर जी, रामलाल, 50 साल के थे, लेकिन उनकी मर्दानगी आज भी जवान थी—उनका लंड उनकी धोती में हमेशा उभरा दिखता था।

आज ससुर जी खेत से लौटे, उनकी कमीज पसीने से भीगी थी, और उनकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। “राधा, सुनीता, आज खाना जल्दी बनाओ,” उन्होंने कहा, और हमारे पास आकर खड़े हो गए। मैंने उनकी नजर अपनी चूचियों पर महसूस की, और मेरी चूत में हल्का गीलापन आ गया। सुनीता ने भी उनकी नजर पकड़ ली, और उसने मुस्कुराते हुए कहा, “ससुर जी, आज आप थके हुए लग रहे हैं।” रामलाल ने हँसते हुए कहा, “थकान तो तुम दोनों दूर कर दोगी।”

खाना बनने के बाद, हम तीनों हॉल में बैठे। ससुर जी ने हमें अपने पास बुलाया। “आज रात कुछ खास करने का मन है,” उन्होंने कहा, और मेरी साड़ी का पल्लू खींच दिया। मेरी चूचियाँ ब्लाउज में उभर आईं। सुनीता हँसी, “ससुर जी, ये क्या कर रहे हैं?” लेकिन उसकी आँखों में भी वासना थी। रामलाल ने सुनीता की साड़ी भी खींची, और उसकी चूचियाँ ब्लाउज से बाहर झाँकने लगीं। “आज तुम दोनों की चुदाई करूँगा,” उन्होंने कहा, और हमारी ओर बढ़े।

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मैंने नाटक किया, “ससुर जी, ये गलत है!” लेकिन मेरी चूत गीली हो चुकी थी। रामलाल ने मेरी चूचियाँ ब्लाउज के ऊपर से दबाईं और कहा, “गलत कुछ नहीं, बहुओं का सुख देना मेरा हक है।” सुनीता ने भी हामी भरी, और उसने अपना ब्लाउज खोल दिया। उसकी चूचियाँ बाहर आ गईं—बड़ी, गोल, और निप्पल सख्त। ससुर जी ने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगे। “आह, ससुर जी, चूसो!” सुनीता चिल्लाई। मैंने भी अपना ब्लाउज उतारा, और मेरी चूचियाँ उनकी दूसरी ओर बढ़ाईं। उन्होंने मेरी चूची को चूसा, और मैं आह भरते हुए उनकी गोद में बैठ गई।

उन्होंने अपनी धोती खोली, और उनका लंड बाहर आया—9 इंच लंबा, मोटा, और सख्त। मैंने उसे देखकर अपनी चूत में उंगलियाँ डाल दीं। “ससुर जी, आपका लंड तो बहुत बड़ा है,” सुनीता ने कहा, और उसने उसे हाथ में पकड़ लिया। रामलाल ने मुझे चटाई पर लिटाया और मेरी साड़ी ऊपर उठाकर मेरी चूत को नंगा कर दिया। “राधा, तेरी चूत कितनी गीली है,” उन्होंने कहा, और अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराई। “आह, ससुर जी, चाटो मेरी चूत!” मैं चीखी।

सुनीता उनके पास आई, और उन्होंने उसकी गांड को थप्पड़ मारा। “सुनीता, तू भी तैयार हो जा,” उन्होंने कहा, और उसकी साड़ी उतारकर उसकी चूत को भी चाटने लगे। हम दोनों की आहें कमरे में गूँज रही थीं। “ससुर जी, चोदो हमें!” हमने एक साथ कहा। उन्होंने सुनीता को मेरे बगल में लिटाया और अपना लंड मेरी चूत में डाला। “आह, फक, कितना मोटा लंड है!” मैं चिल्लाई, उन्होंने मुझे तेजी से चोदा, मेरी चूचियाँ उछल रही थीं।

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फिर उन्होंने सुनीता की चूत में अपना लंड घुसाया। “चोदो, ससुर जी, मेरी चूत फाड़ दो!” सुनीता चीखी। उन्होंने उसे भी जोर-जोर से चोदा, उसकी गांड लाल हो गई। “तुम दोनों की चुदाई में मजा आ रहा है,” उन्होंने कहा, और मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड में अपना लंड डाला। “आह, ससुर जी, मेरी गांड चोदो!” मैं चिल्लाई, उन्होंने मेरी गांड को तेजी से चोदा। सुनीता ने अपनी चूत में उंगलियाँ डालीं और हमें देखकर आहें भरीं।

आखिर में, उन्होंने हमें एक साथ चोदा—मेरी चूत में और सुनीता की गांड में उंगलियाँ। “चोदो, ससुर जी, हमें झड़ा दो!” हम चीखे, और हम दोनों झड़ गए। उन्होंने अपना माल मेरी चूत में और सुनीता की चूचियों पर छोड़ा। “अगली बार फिर चोदूँगा,” उन्होंने कहा, और हम हाँफते हुए मुस्कुराए।