हरियाणा के एक छोटे से कस्बे में, जहाँ पुराने स्कूल भवनों और हरे-भरे खेतों का मेल एक अलग ही माहौल बनाता था, काव्या पढ़ाई करती थी। काव्या, 18 साल की, गोरी, लंबे बालों वाली, और हॉट फिगर वाली मासूम सी लड़की थी। उसकी स्कूल यूनिफॉर्म—टाइट शर्ट और स्कर्ट—उसके उभरते बूब्स और गोल चूतड़ को और आकर्षक बनाती थी। स्कूल में उसका क्रश, रोहित, 19 साल का, मज़बूत जिस्म और शरारती मुस्कान वाला सीनियर था। काव्या की वासना की आग धीरे-धीरे भड़क रही थी, और एक दिन, स्कूल के सुनसान कोने में, रोहित ने उसकी पहली चुदाई कर दी।
उस दिन स्कूल में स्पोर्ट्स डे की तैयारी चल रही थी। ज़्यादातर स्टूडेंट्स मैदान में थे, और स्कूल का पुराना ब्लॉक खाली पड़ा था। काव्या, अपनी टाइट यूनिफॉर्म में, लाइब्रेरी से किताबें लेने गई थी। रोहित, जो पहले से वहाँ था, उसकी नज़र काव्या के चूतड़ पर टिकी थी, जो स्कर्ट में हल्के-हल्के हिल रहे थे। “काव्या, तू तो दिन-ब-दिन हॉट होती जा रही है,” रोहित ने शरारती अंदाज़ में कहा। काव्या ने अपने होंठ चाटे और जवाब दिया, “रोहित, मेरी चूत में आग लगी है, कोई बुझाएगा?” उसकी बोल्ड बात ने रोहित के लंड को तुरंत सख्त कर दिया।
रोहित ने काव्या को लाइब्रेरी के एक सुनसान कोने में खींच लिया और उसके होंठों को चूम लिया, पहले धीरे, फिर गहराई से, उसकी जीभ को चूसते हुए। काव्या की चूत में सिहरन दौड़ गई, और उसने रोहित की शर्ट में उंगलियाँ डालकर उसे और करीब खींच लिया। “तेरे होंठ कितने रसीले हैं,” रोहित ने फुसफुसाया, और काव्या ने सिसकते हुए जवाब दिया, “तो मेरी चूत का स्वाद भी ले लो।” रोहित ने काव्या की शर्ट के बटन खोले, और उसकी सफेद ब्रा में कैद उभरी चूचियाँ देखकर उसका लंड पैंट में तन गया।
रोहित ने काव्या की ब्रा का हुक खोला, और उसके रसभरे बूब्स आज़ाद हो गए। उसने उन्हें कस के दबाया, निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा। “तेरी चूचियाँ कितनी मस्त हैं,” रोहित ने कराहते हुए कहा, और काव्या की सिसकियाँ लाइब्रेरी के सन्नाटे में गूंजने लगीं। उसने अपनी जांघें चौड़ी कीं, और रोहित ने उसकी स्कर्ट के नीचे से उसकी चूत को सहलाया, जो पहले ही गीली हो चुकी थी। “तेरी चूत तो मेरे लंड के लिए तरस रही है,” रोहित ने कहा, और काव्या ने सिसकते हुए जवाब दिया, “रोहित, मेरी पहली चुदाई कर दे।”
काव्या ने रोहित की पैंट खोली, और उसका मोटा लंड बाहर आया। “वाह, तेरा लंड तो बहुत सख्त है,” काव्या ने सेक्सी अंदाज़ में कहा, और उसे अपने हाथों में लेकर सहलाया। उसने रोहित के लंड को अपने होंठों से चूमा, फिर धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। रोहित की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने काव्या के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा। काव्या की जीभ उसके लंड पर नाच रही थी, और उसकी चूत में चुदाई की प्यास बढ़ रही थी। “साली, तू तो मेरे लंड की दीवानी हो गई,” रोहित ने गाली देते हुए कहा, और काव्या ने कामुक मुस्कान के साथ जवाब दिया, “तो चोद दे, मेरी चूत को।”
रोहित ने काव्या को एक पुरानी टेबल पर लिटाया और उसकी स्कर्ट ऊपर उठा दी। उसने काव्या की सफेद पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ उसकी टाइट चूत में डालीं, उसे रगड़ते हुए। “तेरी चूत कितनी गीली और टाइट है,” रोहित ने फुसफुसाया, और काव्या ने कराहते हुए कहा, “रोहित, अपने लंड से मेरी चूत चोद दे।” रोहित ने अपने मोटे लंड को काव्या की चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाल दिया। काव्या की एक ज़ोरदार चीख निकली, क्योंकि रोहित का लंड उसकी कुँवारी चूत को चीर रहा था। “आह, दर्द हो रहा है,” उसने सिसकते हुए कहा।
रोहित ने काव्या की कमर पकड़कर धीरे से धक्का मारा और कहा, “थोड़ा दर्द बर्दाश्त कर, ये तेरी पहली चुदाई है।” उसने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की, और हर धक्के के साथ काव्या की चूचियाँ उछल रही थीं। दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल रहा था, और काव्या की सिसकियाँ अब कामुक कराह में तब्दील हो चुकी थीं। रोहित ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और उसका लंड काव्या की चूत की गहराई को छू रहा था। काव्या की गांड हर धक्के के साथ टेबल पर रगड़ रही थी, और उसने अपनी जांघें और चौड़ी कर दीं। “हाँ, रोहित, मेरी चूत को और चोद,” काव्या ने कराहते हुए कहा।
तभी स्कूल का स्पोर्ट्स कोच, विक्रम, 30 साल का, मज़बूत जिस्म और गहरी आवाज़ वाला मर्द, लाइब्रेरी में आया। उसने काव्या की चुदाई देखकर अपना लंड पकड़ लिया। “काव्या, मुझे भी मज़ा चाहिए,” विक्रम ने हँसते हुए कहा। काव्या पहले चौंकी, लेकिन उसकी चूत की भूख ने उसे बोल्ड बना दिया। “आ जा, विक्रम सर, मेरी गांड और मुँह बाकी हैं,” उसने सेक्सी मुस्कान के साथ कहा। रोहित ने हँसते हुए विक्रम को पास बुलाया, और दोनों ने काव्या को अपनी भूख का शिकार बनाया।
विक्रम ने काव्या की गांड को कस के पकड़ा और उसे थप्पड़ मारा। “तेरी गांड कितनी रसभरी है,” उसने कहा, और अपनी उंगलियाँ काव्या की गांड के छेद पर फेरी। उसने धीरे से अपनी उंगली अंदर डाली, और काव्या की सिसकी और तेज़ हो गई। “मेरी गांड भी चोद,” उसने कराहते हुए कहा। रोहित ने काव्या की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, जबकि विक्रम ने अपने लंड को काव्या की गांड पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। काव्या की एक ज़ोरदार चीख निकली, क्योंकि विक्रम का लंड उसकी गांड को दर्द दे रहा था। “आह, धीरे,” उसने सिसकते हुए कहा, लेकिन विक्रम ने और ज़ोर से धक्का मारा।
काव्या के जिस्म में दो लंड एक साथ थे—रोहित का लंड उसकी चूत को चोद रहा था, और विक्रम का लंड उसकी गांड को। उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसने दोनों को कस के पकड़ लिया। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” काव्या ने सिसकते हुए कहा, दर्द और मज़े के बीच झूलते हुए। रोहित ने काव्या के होंठों को फिर से चूमा, उसकी जीभ को चूसते हुए, जबकि विक्रम ने उसकी चूचियाँ दबाईं और उन्हें चूसा। काव्या का जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था।
तभी स्कूल का एक और सीनियर, अर्जुन, 19 साल का, मज़बूत और शरारती, लाइब्रेरी में आया। उसने काव्या की चुदाई देखकर अपना मोटा लंड पकड़ लिया। “काव्या, मुझे भी बुला ले,” उसने गहरी आवाज़ में कहा। काव्या ने उसे एक सेक्सी नज़र दी और बोली, “अर्जुन, मेरे मुँह में जगह है।” अर्जुन ने अपनी पैंट उतारी और अपना मोटा लंड काव्या के मुँह में डाल दिया। काव्या ने उसे चूसना शुरू किया, उसकी जीभ से उसके मोटे लंड को सहलाते हुए। अर्जुन की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने काव्या के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा। “रंडी, तू तो मेरे लंड की दीवानी है,” अर्जुन ने गाली देते हुए कहा।
रोहित अब काव्या की चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था, उसका लंड हर धक्के में उसकी चूत की गहराई को छू रहा था। विक्रम ने उसकी गांड में अपने लंड को और गहरे तक धकेला, और काव्या की सिसकियाँ चीखों में बदल गईं। अर्जुन ने काव्या के मुँह में अपने मोटे लंड को और तेज़ी से चलाया, और काव्या ने उसे चूसते हुए सिसकियाँ भरीं। “तेरे मुँह में मेरा लंड कितना अच्छा लग रहा है,” अर्जुन ने कराहते हुए कहा। काव्या का जिस्म तीन मर्दों की भूख का शिकार बन चुका था, और उसकी पहली चुदाई यादगार बन रही थी।
चुदाई का ये खेल देर तक चला। काव्या की चूत, गांड, और मुँह तीनों मर्दों के लंड से भरे थे। रोहित ने काव्या की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और आखिरकार उसकी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी। विक्रम ने उसकी गांड को चोदते हुए अपने लंड का रस उसकी गांड में छोड़ा। अर्जुन ने काव्या के मुँह से अपना मोटा लंड निकाला और उसकी चूचियों पर अपनी गर्मी बिखेर दी। काव्या का जिस्म पसीने, दर्द, और तृप्ति से गीला था, और उसकी पहली चुदाई पूरी हो चुकी थी।
खेल खत्म होने के बाद काव्या ने तीनों को एक सेक्सी मुस्कान दी और फुसफुसाया, “रोहित, तुमने मेरी पहली चुदाई को यादगार बना दिया। मेरी चूत और गांड तुम्हें हमेशा याद करेंगी।” रोहित, विक्रम, और अर्जुन ने उसे अपनी बाहों में लिया, और लाइब्रेरी की गर्मी देर तक बाकी रही। काव्या ने हँसते हुए कहा, “रोहित, अगली बार स्कूल के बाद फिर चोदना।” रोहित ने उसकी चूचियाँ दबाकर जवाब दिया, “काव्या, तेरी चूत मेरे लंड की गुलाम बन चुकी है।”
खेल के बाद काव्या ने अपने जिस्म पर चुदाई के निशान देखे—हल्के लाल निशान उसकी चूचियों और चूतड़ पर थे, जो उसकी पहली चुदाई की कहानी कह रहे थे। वह क्लास में वापस लौटी, और उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी। उसकी चूत और गांड उस दिन की चुदाई को हमेशा याद रखने वाली थी।