मैं, रवि, 26 साल का एक जवान और मज़बूत लड़का, मुंबई के एक मिडिल-क्लास अपार्टमेंट में रहता था। मेरे बगल वाले फ्लैट में अनन्या, 30 साल की एक खूबसूरत और सेक्सी औरत, अपने पति के साथ रहती थी। अनन्या का गोरा रंग, लंबे रेशमी बाल, टाइट चूचे, और गोल-मटोल चूतड़ किसी को भी पागल कर सकते थे। उसका पति, एक बिजनेसमैन, ज्यादातर शहर से बाहर रहता था, और अनन्या अक्सर अकेली रहती थी। उसकी कामुक मुस्कान और भरी-भरी देह मुझे रातों को जगा देती थी। ये कहानी उस दिन की है, जब मैंने अनन्या की चूत की आग को उसके ही घर में बुझाया।
उस दिन सुबह की बात थी। मैं अपने बालकनी में कॉफी पी रहा था, तभी अनन्या अपनी बालकनी में कपड़े सुखाने आई। उसने एक टाइट नीली नाइटी पहनी थी, जिसमें उसकी क्लीवेज और चूतड़ साफ दिख रहे थे। उसकी नजर मुझ पर पड़ी, और उसने शरारती अंदाज में मुस्कुराते हुए कहा, “रवि, आज कुछ ज्यादा ही स्मार्ट लग रहे हो।” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “भाभी, आप तो हर दिन हॉट लगती हो।” मेरी बात सुनकर उसका चेहरा लाल हो गया, लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी।
“रवि, मेरे घर का नल खराब है। क्या तुम ठीक कर सकते हो?” अनन्या ने पूछा। मैंने तुरंत हामी भरी और उसके घर चला गया। अनन्या ने मुझे बाथरूम में ले जाकर नल दिखाया। मैंने नल ठीक करने का काम शुरू किया, लेकिन मेरी नजर बार-बार उसकी नाइटी के गहरे गले पर जा रही थी, जहां से उसके चूचे झांक रहे थे। अनन्या ने मेरी नजर पकड़ ली और हंसते हुए बोली, “क्या देख रहा है, रवि? नल ठीक कर या कुछ और ठीक करना है?” उसकी बात सुनकर मेरा लंड तन गया।
मैंने रिंच नीचे रखा और उसके करीब गया। “भाभी, नल तो ठीक हो जाएगा, लेकिन तुम्हारी चूत की गर्मी कौन ठीक करेगा?” मैंने बिनधास्त कहा। अनन्या की सांसें रुक गईं। उसने मेरी आंखों में देखा और फुसफुसाया, “तो तू ही बुझा दे, रवि… मेरी चूत तेरा लंड मांग रही है।” उसकी बात सुनकर मेरे शरीर में आग लग गई। मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। हमारा चुम्बन इतना गहरा और जुनूनी था कि बाथरूम की हवा गर्म हो गई।
मेरी जीभ उसकी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उसकी नाइटी के ऊपर से उसके चूचों पर चले गए। उसकी नाइटी इतनी पतली थी कि मुझे उसके निप्पल सख्त महसूस हो रहे थे। “रवि, मेरी चूत को चोद… मुझे और मत तड़पा,” अनन्या सिसकते हुए बोली। मैंने उसकी नाइटी को एक झटके में उतार दिया। उसकी लाल ब्रा और पैंटी में उसकी गोरी देह चमक रही थी। मैंने उसकी ब्रा खींचकर फेंक दी, और उसके गोल-गोल चूचे मेरे सामने थे। मैंने उन्हें अपने मुंह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
अनन्या की सिसकारियां बाथरूम में गूंज रही थीं। “आह… रवि, मेरी चूत को छू… इसे गीला कर दे,” उसने कातरते हुए कहा। मैंने उसकी पैंटी उतारी, और उसकी चिकनी, भरी हुई चूत मेरे सामने थी। मेरी उंगलियां उसकी चूत पर फिसलने लगीं, और उसका रस मेरे हाथों पर चिपक गया। “तेरी चूत तो पहले से ही टपक रही है, भाभी,” मैंने कहा और अपनी जीभ उसकी चूत के दाने पर रख दी। अनन्या चीख पड़ी, “आह… चाट ले मेरी चूत को… और जोर से!” मेरी जीभ उसकी चूत की गहराइयों में थी, और उसका शरीर हर चाट पर कांप रहा था।
उसने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे और गहराई में दबाया। मैंने उसकी चूत का रस चाट-चाटकर उसे पागल कर दिया। फिर मैंने उसे बाथरूम की दीवार पर टिकाया और अपनी जीन्स उतार दी। मेरा मोटा, तना हुआ लंड उसके सामने था। अनन्या की आंखें चमक उठीं। “रवि, तेरा लंड तो मेरे पति से कहीं बड़ा है,” उसने हंसते हुए कहा और मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया। उसने इसके टोपे को चाटना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरी नसों पर नाचने लगी। “आह… भाभी, तेरा मुंह तो जन्नत है,” मैं सिसकते हुए बोला।
अनन्या ने मेरा लंड गहराई तक अपने मुंह में लिया, और मैं उसके चूचों को दबाने लगा। उसकी सिसकारियां और मेरी कराहें बाथरूम में गूंज रही थीं। मैंने उसे खींचकर बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी टांगें फैलाकर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा। “रवि, अब डाल दे… मेरी चूत तड़प रही है,” अनन्या चीखी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक उतर गया। “आह… तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है!” उसने सिसकते हुए कहा।
मैंने उसकी चूतड़ पकड़ लिए और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। हर धक्के के साथ उसकी चूत मेरे लंड को निगल रही थी, और उसके चूचे हवा में उछल रहे थे। मैंने उसके निप्पल को अपने दांतों से हल्के से काटा, और अनन्या चीख पड़ी, “और जोर से, रवि… मेरी चूत को रगड़ दे!” मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और उसकी चीखें पूरे कमरे में गूंजने लगीं। फिर मैंने उसे पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। उसकी गोल-मटोल गांड मेरे सामने थी, और मैंने उस पर एक चपत मारी।
“तेरी ये सेक्सी गांड… इसे भी चोदना है,” मैंने कहा। अनन्या ने हंसते हुए जवाब दिया, “तो चोद ना, रवि… मेरी गांड तेरी है।” मैंने अपनी उंगलियां उसकी चूत के रस से गीली कीं और उसकी टाइट गांड में डालीं। अनन्या सिसकारी, लेकिन अपनी गांड को और पीछे धकेला। मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… तेरा लंड मेरी गांड को चीर रहा है!” अनन्या चीखी, लेकिन उसकी आवाज में सुख की लहर थी।
मेरी रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ी, और मेरा लंड उसकी गांड में अंदर-बाहर होने लगा। उसकी चूत से रस टपक रहा था, और उसकी चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रही थीं। मैंने उसे फिर से पलटाया और उसकी टांगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरा लंड उसकी चूत में फिर से घुसा, और मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा। “तेरी चूत इतनी टाइट है, भाभी… मैं झड़ने वाला हूं,” मैंने कराहते हुए कहा। अनन्या ने अपनी चूत को और सिकोड़ा और बोली, “मेरे अंदर झड़, रवि… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!”
मेरे धक्के अब और तेज हो गए। उसकी चूत और गांड दोनों मेरे लंड से रगड़ खा चुकी थीं। आखिरकार, मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा गर्म रस उसकी चूत में भर गया। अनन्या भी उसी पल झड़ गई, और उसकी चूत का रस मेरे लंड पर बहने लगा। हम दोनों हांफते हुए एक-दूसरे की बाहों में गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। मैंने उसकी छाती पर सिर रखा और हल्के से हंसा, “भाभी, तेरी चूत ने मुझे पागल कर दिया।”
अनन्या ने मेरे चूतड़ पर हल्के से थपकी दी और बोली, “रवि, तेरा लंड मेरी चूत की प्यास बुझाने के लिए ही बना है।” उस दिन के बाद, अनन्या और मेरा रिश्ता एक नया मोड़ ले चुका था। जब भी उसका पति शहर से बाहर होता, मैं उसके घर जाता। उसकी भूखी नजरें और मेरे लंड का जुनून एक-दूसरे के लिए तड़पने लगा। एक बार तो उसने मुझे अपने किचन में बुलाया और काउंटर पर चढ़कर मेरे लंड की सवारी की। उसकी चीखें और मेरी सिसकारियां घर में गूंज रही थीं।
हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज बन गया। अनन्या की चूत और गांड अब मेरे लंड की आदी हो चुकी थी। हर रात, जब मैं बिस्तर पर लेटता, उसकी नंगी देह मेरे दिमाग में घूमने लगती। उसकी खूबसूरती और वासना ने मुझे ऐसा जकड़ा कि मैं हर बार उसके घर की ओर खिंचा चला जाता।
अगली सुबह, जब मैं बालकनी में खड़ा था, अनन्या फिर से कपड़े सुखाने आई। उसने मुझे देखकर एक शरारती मुस्कान दी और बोली, “रवि, आज फिर नल खराब हो गया है।” मैंने हंसते हुए कहा, “भाभी, इस बार नल नहीं, तेरी चूत ठीक करूंगा।” उसकी हंसी पूरे अपार्टमेंट में गूंज उठी, और हम दोनों की आंखों में वही जुनून फिर से जल उठा।