उम्रदराज मर्द और कमसिन लड़की की सेक्स कहानी

मैं, 19 साल की एक कमसिन और सेक्सी लड़की, दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में रहती थी। मेरी गोरी त्वचा, लंबे काले बाल, पतली कमर और उभरे हुए चूचे किसी को भी दीवाना बना सकते थे। मेरा नाम छोड़िए, क्योंकि ये कहानी मेरे और एक उम्रदराज मर्द, रमेश अंकल, की है, जो हमारे पड़ोस में रहते थे। रमेश अंकल 50 साल के थे, लेकिन उनकी मज़बूत कद-काठी, चौड़ी छाती और गहरी आवाज़ उन्हें अभी भी जवानी का एहसास देती थी। उनकी पत्नी का देहांत कई साल पहले हो गया था, और वो अकेले रहते थे। उनकी भारी-भरकम शख्सियत और भूखी नज़रें मुझे हमेशा उत्तेजित करती थीं।

रमेश अंकल हमारे घर अक्सर आया-जाया करते थे। मम्मी-पापा उन्हें बहुत इज़्ज़त देते थे, और मैं भी उनके साथ हँसी-मज़ाक करती थी। लेकिन उनकी नज़रें मेरे टाइट कपड़ों, मेरी जाँघों और चूचों पर बार-बार ठहरती थीं। मुझे उनकी वो नज़रें अजीब लेकिन रोमांचक लगती थीं। मैं जानबूझकर उनके सामने टाइट टॉप्स और शॉर्ट स्कर्ट्स पहनने लगी, ताकि उनकी आँखें मुझ पर और रुकें। एक दिन दोपहर को मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार के घर गए थे, और मैं घर पर अकेली थी। गर्मी की वजह से मैंने एक पतला सा स्लिप ड्रेस पहना था, जो मेरे चूतड़ और चूचों को और उभार रहा था।

उसी वक्त दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो रमेश अंकल खड़े थे। “बेटी, तुम्हारे पापा घर पर हैं?” उन्होंने अपनी गहरी आवाज़ में पूछा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं अंकल, वो तो बाहर गए हैं। लेकिन आप अंदर आ जाओ।” मैंने जानबूझकर अपनी ड्रेस को थोड़ा नीचे खींचा, ताकि मेरी क्लीवेज दिखे। अंकल की नज़रें मेरे चूचों पर ठहर गईं, और उनकी साँसें भारी हो गईं। “तू आज कुछ ज़्यादा ही हॉट लग रही है,” उन्होंने धीमे से कहा, और उनकी आँखों में एक जंगली चमक थी।

मैंने शरारती अंदाज़ में जवाब दिया, “अंकल, गर्मी तो मुझे भी चढ़ रही है। आप कुछ कर सकते हो क्या?” उनकी साँसें और तेज़ हो गईं। उन्होंने दरवाजा बंद किया और मेरे करीब आ गए। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। “तू सचमुच ये चाहती है?” उन्होंने मेरी कमर पकड़ते हुए पूछा। मैंने उनकी आँखों में देखा और फुसफुसाया, “अंकल, मेरी चूत तुम्हारे लंड की प्यासी है। आज मुझे चोद दो।” ये सुनते ही उनकी आँखों में आग सी जल उठी।

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उन्होंने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। हमारा चुम्बन इतना गहरा और जुनूनी था कि कमरे की हवा गर्म हो गई। मेरी जीभ उनकी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उनकी शर्ट के बटनों पर चले गए। उनकी छाती की गर्मी और मज़बूत मांसपेशियाँ मुझे पागल कर रही थीं। “अंकल, मुझे तेरे लंड की सैर चाहिए… मेरी चूत को फाड़ दे,” मैंने बेशर्मी से कहा। रमेश अंकल ने मेरी ड्रेस को एक झटके में उतार दिया। मेरी काली ब्रा और पैंटी में मेरी गोरी देह चाँदनी में चमक रही थी।

उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतारी, और उनका मोटा, तना हुआ लंड मेरे सामने था। मैंने उनकी आँखों में देखा और हँसते हुए कहा, “अंकल, तेरा लंड तो अभी भी जवान है।” मैंने उनका लंड अपने हाथ में लिया और उसके टोपे को चाटने लगी। उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह… तेरे मुँह में जादू है।” मैंने उनके लंड को अपने मुँह में गहराई तक लिया, और मेरी जीभ उनकी नसों पर नाचने लगी। उनके हाथ मेरे चूचों पर गए, और उन्होंने मेरी ब्रा खींचकर फेंक दी। मेरे सख्त निप्पल अब उनके मुँह में थे, और वो उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे।

मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “अंकल… मेरी चूत को छू… इसे गीला कर दे।” उन्होंने मेरी पैंटी उतारी, और मेरी चिकनी, गीली चूत उनके सामने थी। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिसलने लगीं, और मेरा रस उनके हाथों पर चिपक गया। “तेरी चूत तो पहले से ही टपक रही है,” उन्होंने कहा और अपनी जीभ मेरी चूत के दाने पर रख दी। मैं चीख पड़ी, “आह… चाट ले मेरी चूत को… और ज़ोर से!” उनकी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में थी, और मेरा शरीर हर चाट पर कांप रहा था।

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मैंने उन्हें सोफे पर धकेला और उनकी गोद में बैठ गई। मैंने उनका लंड अपनी चूत पर रगड़ा और धीरे-धीरे उसे अंदर लिया। “आह… अंकल, तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है,” मैं कराहते हुए बोली। उन्होंने मेरी चूतड़ पकड़ लिए और मुझे ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे करने लगे। हर धक्के के साथ मेरी चूत उनके लंड को निगल रही थी, और मेरे चूचे हवा में उछल रहे थे। उन्होंने मेरे निप्पल को अपने दाँतों से हल्के से काटा, और मैं चीख पड़ी, “और ज़ोर से… मेरी चूत को रगड़ दे!”

उन्होंने मुझे पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। मेरी गांड उनके सामने थी, और उन्होंने उस पर एक चपत मारी। “तेरी ये सेक्सी गांड… इसे भी चोदना है,” उन्होंने कहा। मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “तो चोद ना, अंकल… मेरी गांड तेरी है।” उन्होंने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत के रस से गीली कीं और मेरी टाइट गांड में डालीं। मैं सिसकारी, लेकिन अपनी गांड को और पीछे धकेला। उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… तेरा लंड मेरी गांड को चीर रहा है!” मैं चीखी, लेकिन उस दर्द में सुख था।

उनकी रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ी, और उनका लंड मेरी गांड में अंदर-बाहर होने लगा। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मेरी चूतड़ उनकी जाँघों से टकरा रही थीं। उन्होंने मुझे फिर से पलटाया और मेरी टांगें अपने कंधों पर रख लीं। उनका लंड मेरी चूत में फिर से घुसा, और वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे। “तेरी चूत इतनी टाइट है… मैं झड़ने वाला हूँ,” उन्होंने कराहते हुए कहा। मैंने अपनी चूत को और सिकोड़ा और बोली, “मेरे अंदर झड़, अंकल… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!”

उनके धक्के अब और तेज़ हो गए। मेरी चूत और गांड दोनों उनके लंड से रगड़ खा चुकी थीं। आख़िरकार, उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका गर्म रस मेरी चूत में भर गया। मैं भी उसी पल झड़ गई, और मेरी चूत का रस उनके लंड पर बहने लगा। हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे की बाहों में गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। मैंने उनकी छाती पर सिर रखा और हल्के से हँसी, “अंकल, तुम उम्रदराज हो, लेकिन तेरा लंड अभी भी जवान है।”

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उन्होंने मेरी चूतड़ पर हल्के से थपकी दी और बोले, “तेरी चूत की गर्मी ने मुझे फिर से जवान कर दिया।” उस रात के बाद, रमेश अंकल और मेरा रिश्ता एक नया मोड़ ले चुका था। जब भी मम्मी-पापा घर से बाहर होते, अंकल मेरे पास आते। उनकी भूखी नज़रें और मोटा लंड मेरे लिए एक नशा बन गया था। एक बार तो रात के अंधेरे में, जब मम्मी-पापा सो रहे थे, अंकल मेरे कमरे में आए और मुझे चोदने लगे। “तेरी चूत मेरे लिए जन्नत है,” उन्होंने मेरी चूत में लंड डालते हुए कहा।

हमारी चुदाई का सिलसिला अब रुकने का नाम नहीं ले रहा था। हर बार जब घर में सन्नाटा छाता, अंकल का लंड मेरी चूत और गांड की सैर करता। हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज़ बन गया। मेरी चूत और गांड अब उनके लंड की आदी हो चुकी थीं। हर रात, जब मैं बिस्तर पर लेटती, उनकी चुदाई की यादें मुझे फिर से गीला कर देती थीं।

अगली सुबह, जब मैं किचन में कॉफी बना रही थी, अंकल पीछे से आए और मेरी कमर पकड़ ली। “तेरी चूत की गर्मी तो मुझे पागल कर देती है,” उन्होंने फुसफुसाया। मैंने हँसते हुए कहा, “अंकल, मेरी चूत तुम्हारे लंड की दीवानी है।” उनकी हँसी कमरे में गूँज उठी, और हमारी आँखों में वही जुनून अभी भी बाकी था।