मैं, 24 साल की एक जवान और सेक्सी लड़की, और मेरी छोटी बहन, 20 साल की, गोरी, पतली कमर और उभरे हुए चूचों वाली लड़की, दिल्ली में अपने मम्मी-पापा के साथ रहती थीं। हमारी मम्मी-पापा दोनों नौकरीपेशा थे, और अक्सर घर से बाहर रहते थे। उस गर्मी की छुट्टियों में हमारा चाचा, रवि, जो 38 साल का एक मज़बूत और आकर्षक मर्द था, हमारे घर कुछ दिनों के लिए रुका था। रवि चाचा की गहरी आवाज़, मस्कुलर शरीर और भारी-भरकम व्यक्तित्व हमें हमेशा से आकर्षित करता था। लेकिन इस बार, हमारी नज़रों का खेल एक ऐसी आग में बदल गया, जिसने हम तीनों को जला डाला।
उस दिन दोपहर का समय था। मम्मी-पापा ऑफिस गए थे, और घर में सिर्फ़ मैं, मेरी छोटी बहन और चाचा थे। मैंने एक टाइट टैंक टॉप और शॉर्ट्स पहने थे, जो मेरी गोरी जाँघों और चूचों को और उभार रहे थे। मेरी बहन ने एक पतली सी स्लिप ड्रेस पहनी थी, जिसमें उसकी क्लीवेज और चूतड़ साफ़ दिख रहे थे। हम दोनों लिविंग रूम में बैठकर टीवी देख रहे थे, और चाचा अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे। मैंने देखा कि चाचा की नज़रें बार-बार मेरी जाँघों और मेरी बहन की क्लीवेज पर ठहर रही थीं।
मैंने अपनी बहन की तरफ देखा और हल्के से मुस्कुराई। हम दोनों को चाचा की वो भूखी नज़रें उत्तेजित कर रही थीं। मैंने जानबूझकर अपने टॉप को थोड़ा नीचे खींचा, ताकि मेरे चूचे और साफ़ दिखें। मेरी बहन ने भी अपनी ड्रेस को थोड़ा ऊपर उठाया, जिससे उसकी जाँघें और पैंटी की झलक दिखने लगी। चाचा की साँसें भारी हो गईं। “क्या बात है, लड़कियों? आज कुछ ज़्यादा ही गर्मी चढ़ रही है,” उन्होंने अपनी गहरी आवाज़ में कहा, और उनकी आँखों में एक शरारती चमक थी।
मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “चाचा, गर्मी तो हमें भी चढ़ रही है। आप कुछ कर सकते हो क्या?” मेरी बहन ने हँसते हुए जोड़ा, “हाँ, चाचा, आप तो मर्द हो, हमारी गर्मी बुझाओ ना।” चाचा की आँखें चौड़ी हो गईं, लेकिन उनकी मुस्कान में एक जंगली भूख थी। उन्होंने लैपटॉप बंद किया और हमारे करीब आ गए। “तुम दोनों सचमुच ये चाहती हो?” उन्होंने मेरी कमर और मेरी बहन की जाँघ पर हाथ रखते हुए पूछा।
मैंने उनकी आँखों में देखा और फुसफुसाया, “चाचा, हम दोनों की चूत तुम्हारे लंड की प्यासी है।” मेरी बहन ने हँसते हुए कहा, “हाँ, चाचा, आज रात हमारी चूत को चोद दो।” चाचा की साँसें और तेज़ हो गईं। उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और हमारा चुम्बन इतना गहरा और जुनूनी था कि कमरे की हवा गर्म हो गई। मेरी जीभ उनकी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उनकी टी-शर्ट के नीचे चले गए। मेरी बहन ने चाचा की कमर पकड़ ली और उनकी गर्दन पर चूमने लगी।
चाचा ने मेरी टैंक टॉप को एक झटके में उतार दिया। मेरी काली ब्रा में कैद चूचे उनके सामने थे, और उन्होंने मेरी ब्रा खींचकर फेंक दी। मेरी बहन की ड्रेस भी अब फर्श पर थी, और उसकी गुलाबी पैंटी में उसकी गोरी देह चमक रही थी। चाचा ने अपनी टी-शर्ट और जीन्स उतारी, और उनका मोटा, तना हुआ लंड हमारे सामने था। मैंने और मेरी बहन ने एक-दूसरे की तरफ देखा और हँस पड़ीं। “चाचा, तेरा लंड तो जन्नत है,” मैंने कहा और उनका लंड अपने हाथ में लिया। मेरी बहन ने उनके लंड के टोपे को चाटना शुरू किया।
“आह… तुम दोनों की जीभ तो स्वर्ग है,” चाचा सिसकारते हुए बोले। मैंने उनके लंड को अपने मुँह में लिया, और मेरी बहन ने उनके बॉल्स को चूसना शुरू किया। चाचा के हाथ मेरे चूचों पर गए, और वो उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे। मेरी बहन की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “चाचा, मेरी चूत को छू… इसे गीला कर दे।” चाचा ने मेरी बहन की पैंटी उतारी, और उसकी चिकनी, गीली चूत उनके सामने थी। उनकी उंगलियाँ उसकी चूत पर फिसलने लगीं, और उसका रस उनके हाथों पर चिपक गया।
चाचा ने मेरी पैंटी भी नीचे सरकाई और मेरी चूत पर अपनी जीभ रख दी। मैं चीख पड़ी, “आह… चाचा, चाट ले मेरी चूत को… और ज़ोर से!” उनकी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में थी, और मेरी बहन की चूत को वो अपनी उंगलियों से रगड़ रहे थे। हम दोनों की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। चाचा ने मेरी बहन को सोफे पर लिटाया और उसकी टांगें फैलाकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। “आह… चाचा, तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है,” मेरी बहन कराहते हुए बोली।
मैं चाचा के पीछे खड़ी हो गई और उनके बॉल्स को सहलाने लगी। चाचा ने मेरी बहन को ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू किया, और उसकी चीखें कमरे में गूँज रही थीं। “चाचा, मेरी चूत को रगड़ दे… और ज़ोर से!” मेरी बहन चिल्लाई। चाचा ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ डाल दीं। मैं सिसकारी, “चाचा, अब मेरी बारी है… मुझे भी चोद!” उन्होंने मेरी बहन को छोड़ा और मुझे सोफे पर लिटा दिया। उनका लंड मेरी चूत में घुसा, और मैं चीख पड़ी, “आह… तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!”
चाचा की रफ्तार इतनी तेज़ थी कि मेरी चूत उनके लंड को निगल रही थी। मेरी बहन ने चाचा के मुँह में अपने चूचे ठूँस दिए, और वो उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे। मैंने अपनी चूत को और सिकोड़ा, और चाचा की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं। “तुम दोनों की चूत… मैं झड़ने वाला हूँ,” उन्होंने कराहते हुए कहा। मेरी बहन ने हँसते हुए कहा, “चाचा, मेरी गांड में झड़… मुझे तेरा रस चाहिए!” चाचा ने मेरी चूत से लंड निकाला और मेरी बहन की टाइट गांड में डाल दिया।
मेरी बहन चीखी, “आह… चाचा, तेरा लंड मेरी गांड को फाड़ रहा है!” मैंने चाचा की कमर पकड़ ली और उन्हें और गहराई में धकेला। चाचा की रफ्तार बढ़ी, और उनकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं। मैंने अपनी चूत को अपनी उंगलियों से रगड़ना शुरू किया, और मेरी सिसकारियाँ भी कमरे में गूँजने लगीं। चाचा ने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका गर्म रस मेरी बहन की गांड में भर गया। मेरी बहन झड़ गई, और उसकी चूत का रस सोफे पर बहने लगा।
चाचा ने मुझे फिर से अपनी तरफ खींचा और मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। “अब तेरी बारी है,” उन्होंने कहा और मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे। मेरी बहन ने मेरे चूचों को चूसना शुरू किया, और मैं चीख पड़ी, “चाचा… मेरे अंदर झड़… मेरी चूत को भर दे!” चाचा के धक्के और तेज़ हो गए, और आख़िरकार, उनका रस मेरी चूत में भर गया। मैं भी उसी पल झड़ गई, और मेरी चूत का रस उनके लंड पर बहने लगा।
हम तीनों हाँफते हुए सोफे पर गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। मैंने चाचा की छाती पर सिर रखा, और मेरी बहन ने उनकी जाँघ पर। “चाचा, ये रात हम कभी नहीं भूलेंगे,” मैंने फुसफुसाया। मेरी बहन ने हँसते हुए कहा, “हाँ, चाचा, अब तो तुम्हें हर रात हमारी चूत और गांड चोदनी पड़ेगी।” चाचा ने हमारी चूतड़ पर हल्के से थपकी दी और बोले, “तुम दोनों की चूत मेरे लिए जन्नत है।”
उस रात के बाद, हमारा रिश्ता एक नया मोड़ ले चुका था। जब भी मम्मी-पापा घर से बाहर होते, चाचा का लंड हमारी चूत और गांड की सैर करता। हमारी चुदाई का ये सिलसिला एक गुप्त राज़ बन गया। मेरी बहन और मैं चाचा की भूखी नज़रों और मोटे लंड की आदी हो चुकी थीं। हर रात, जब घर में सन्नाटा छाता, हमारी साँसें फिर से गर्म हो उठती थीं।